BY–RAVI CHAUHAN
हाल ही में हुए 5 राज्यो के चुनाव से कोंग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वाली भाजपा को करारा तमाचा लगा है।
चुनाव से पूर्व चर्चा थी कि बसपा कोंग्रेस गठबंधन होगा।
लेकिन पता नही क्या कारण रहे कि नही हो सका।
खैर चुनाव के बाद सपा बसपा की जरूरत न होते हुए भी दोनों पार्टियां कोंग्रेस के लिये मान न मान मैं तेरा मेहमान साबित हुई।
बसपा के सर्वोच्च नेतृत्व बहन मायावती जी ने इस बार मुख्यतर 3 राज्यो में हर तरह की पॉलिटिक्स की ।
अबतक शिकायत रहती थी कि बसपा गठबंधन की राजनीति से परहेज करती है।
बहन जी रैलियां नही करती है। सिर्फ चुनाव में ही नजर आती है।
हा चुनाव में ही नजर आने वाली बात को एक साइड रख दे तो इस बार तो जमकर गठबंधन भी हुए।
रैलियों का भी अच्छा खासा काम हुआ।
10 साल कोंग्रेस को समर्थन करने वाली बहन जी ने वही सांपनाथ नागनाथ को राग भी छेड़ा।
वही दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में हार के बाद evm मशीन पर दोष लगा कर समीक्षा ओर सुधार की गुंजाइश न के बराबर रही।
हर महीने 11 तारिख के evm आंदोलन की भी हवा निकल गयी।
लेकिन गठबंधन- रैली -/अटैकिंग पॉलिटिक्स के बावजूद भी जनता ने गठबंधन समेत राजनीति को नकार दिया।
मान्यवर कांशीराम के निधन के बाद पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता ही आया है।
हाँँ 2007 में जरूर मान्यवर कांशीराम के निधन के तुरन्त बाद हुए चुनाव में बसपा को सहानुभूति ओर श्रद्धांजलि स्वरूप वोट ने पूर्ण बहुमत दिलाया।
उसके बाद पार्टी सिर्फ यूपी तक ही सिमट कर रह गयीं है।
अब हरियाणा में कभी गैर जाट मुख्यमंत्री का नारा देने वाली बहन जी की पार्टी ने जाट मुख्यमंत्री वाली पार्टी से गठबंधन करलिया है।
कई सालों से सत्ता से बाहर इनेलो को मुख्यमंत्री की कुर्सी बिछा के देने का काम बसपा मेहनत से कर रही है।
अगर ऐसे में यहां भी गठबंधन फेल हो जाता है तो नेतृत्व नेता नीति सब कटघरे में खड़े नजर आ सकते है।
Evm पर उठे सवालों पर भी अब ज्यादा कुछ बचा नही है।
3 तीन में से 2 राज्य में भाजपा कोंग्रेस मे बहुत क्लोज़ फाइट हुई है।
वही कल तक बैकफुट पर दिख रही कोंग्रेस अब 3 राज्यो ओर डीएमके नेता स्टॅलिन के राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार बनाने की पेशकश से कोंग्रेस अब फ्रंटफुट पर आ गयी है।
कोंग्रेस को तीनों राज्यो की जीत ने पॉवरप्ले दे दिया है।अब कोंग्रेस क्रीज छोड़कर बैटिंग करेगी।
छोटी मोटी पार्टियां शहद बन चुकी कोंग्रेस से मधुमखियों की तरह चिपटेगी।
राहुल गांधी एवम कोंग्रेस की बॉडी लैंग्वेज अटैकिंग दिख रही है।
राफेल घोटाले पर राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस तरह से उन्होंने मोदी यानी चौकीदार ही चोर है कहकर हमला बोला ,उसकी चारो तरफ वाह वाह हो रही है।
भाजपा द्वारा हजारो करोड़ खर्च कर राहुल गांधी की जो बचकाना इमेज बनाई गई थी। उसे गहरा धक्का लगा है।
ये सब राहुल गांधी से राहुल गाँधी जी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को मजबूत कर गया है।
बसपा सपा मिलकर अगर यूपी भी बचा ले तो आने वाले प्रधानमंत्री की कुर्सी की 1 टांग उनकी हो सकती है।
बहुजनो के हित मे मजबूत नही मजबूर सरकार ज्यादा फायदेमंद है।
(रवि चौहान एक स्वतंत्र लेखक )