BY-THE FIRE TEAM
आज बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया।
फैसला सुनाते हुए सीबीआई जज ने कहा कि साजिश और हत्या साबित करने के लिए मौजूद गवाह और सबूत संतोषजनक नहीं हैं, अदालत ने यह भी पाया है कि-
परिस्थिति संबंधी साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं है। जज ने कहा कि तुलसीराम प्रजापति की हत्या की साजिश का आरोप सच नहीं है। सबूतों के अभाव में विशेष सीबीआई अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया।
Special CBI court: Allegation that Tulsiram Prajapati was murdered through a conspiracy is not true https://t.co/BjjlLhZ0PY
— ANI (@ANI) December 21, 2018
कोर्ट ने कहा कि सरकारी मशीनरी और अभियोजन पक्ष ने बहुत प्रयास किए, 210 गवाहों को लाया गया लेकिन संतोषजनक सबूत नहीं मिले और गवाह अपने बयानों से मुकर गए। अगर गवाह नहीं बोलते हैं तो प्रोसेक्यूटर की कोई गलती नहीं है।
साल 2005 के इस एनकाउंटर केस में 22 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जिनमें अधिकांश पुलिसकर्मी थे। इस केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के 92 गवाह अपने बयानों से मुकर गए।
Special CBI Court: Govt machinery and prosecution put in a lot of effort, 210 witnesses were brought but satisfactory evidence didn't come and witnesses turned hostile. No fault of prosecutor if witnesses don't speak https://t.co/BjjlLhZ0PY
— ANI (@ANI) December 21, 2018
विशेष न्यायधीश एसजे शर्मा ने आखिरी दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस केस में गुजरात और राजस्थान के कई पुलिस अधिकारी शामिल हैं।
इस केस में अभियोजन पक्ष का आरोप था कि सोहराबुद्दीन का संबंध आतंकी संगठन से था और वह गुजरात के किसी बड़े राजनेता की हत्या की साजिश रचने का काम कर रहा था।
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था। बरी होने वालों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष
अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री, गुजरात), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा भी शामिल हैं। साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस केस को मुंबई शिफ्ट कर दिया गया था।