लिव इन रिलेशनशिप के दौरान आपसी सहमति से यौन संबंध रेप नहीं- सुप्रीम कोर्ट


BY-THE FIRE TEAM


लिव इन रिलेशन में रहने वालों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि लिव इन रिलेशन के दौरान एक लड़के-लड़की के बीच

सहमति से यौन संबंध होता है और बाद में यह रिश्ता खत्म हो जाता है तो युवती लड़के पर रेप का मामला दर्ज नहीं करा सकती है। कोर्ट ने कहा कि-

लिव इन रिलेशनशिप के दौरान यौन संबंध के बाद अगर युवक और युवती की शादी नहीं होती है तो युवक के खिलाफ रेप का मामला दर्ज नहीं हो सकता है।

कोर्ट का निर्णय :

जस्टिस एके सीकरी और एस अब्दुल नजीर ने कहा कि दो लड़के और लड़की लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं एक दूसरे से शादी का वादा करते हैं और सहमति से यौन संबंध बनाते हैं,

लेकिन किसी अगर बाद में विषम परिस्थितियों की वजह से दोनों की शादी नहीं हो पाती है तो युवक के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज नहीं हो सकता है।

कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले को वादा तोड़ने के तहत दर्ज किया जा सकता है ना कि रेप का मामला दर्ज हो सकता है। ऐसे मामले में शादी का गलत वादा करने का मामला दर्ज हो सकता है।

नहीं दर्ज हो सकता रेप का मामला :

कोर्ट ने कहा कि बलात्कार और सहमति से यौन संबंध के बीच फर्क है। ऐसे मामलों को कोर्ट को इस बात को काफी बारीकी से देखना चाहिए कि-

क्या आरोपी शादी करना चाहता था या फिर किसी और उद्देश्य से उसने यह संबंध बनाया था। इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि क्या युवक ने सिर्फ अपनी हवस के लिए संबंध बनाया था ?

लेकिन अगर आरोपी ने गलत वादा नहीं किया और दोनों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध हुआ है तो रेप का मामला दर्ज नहीं हो सकता है।

कोर्ट ने कहा कि जब दोनों युवक और युवतियों के बीत प्रेम संबंध के चलते यौन संबंध हुआ और भविष्य में ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जिसकी वजह से दोनों का विवाह नहीं हो सके।

ऐसे में युवक का भविष्य की परिस्थितियों पर नियंत्रण नहीं हो सकता। इस तरह के मामले में युवक के खिलाफ रेप का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है।

गौरतलब है कि कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक डॉक्टर के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया है। इस डॉक्टर के खिलाफ एक नर्स ने एफआईआर दर्ज कराई थी।

नर्स ने आरोप लगाया कि दोनों के बीच प्रेम संबंध था और लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे लेकिन डॉक्टर ने बाद में दूसरी महिला से शादी कर ली।

डॉक्टर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने तथ्यों की जांच के बाद कहा कि मामले में युवक के खिलाफ रेप का मामला दर्ज नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि महिला ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि दोनों के बीच प्रेम था।

महिला ने खुद कहा है कि वह विधवा थी और उसे एक साथी की जरूरत थी।

 

 

 

 

 

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