मेघालय: केन्द्र ने न्यायालय से कहा गैरकानूनी खदान का खाका नहीं होने की वजह से बचाव कार्य बाधित हो रहा

BYTHE FIRE TEAM 

केन्द्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि मेघालय में 13 दिसंबर से एक गैरकानूनी कोयला खदान में फंसे 15 खनिकों के बचाव कार्य में परेशानियां आ रही हैं क्योंकि 355 फुट गहरी खदान का कोई खाका नहीं है।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह गैरकानूनी खदान एक नदी के किनारे स्थित है और इससे हो रहा पानी का रिसाव बचाव अभियान में बाधा पैदा कर रहा है।

तुषार मेहता ने तेजी से बचाव कार्य के लिये अब तक उठाये गये कदमों से पीठ को अवगत कराया।

पीठ ने केन्द्र और दूसरे प्राधिकारों को सात जनवरी को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जिसमे बचाव के लिये उठाये गये कदमों की जानकारी देनी होगी।

इससे पहले, बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत ने इस खदान में फंसे 15 खनिकों को बचाने के काम पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा था कि उन्हें बचाने के लिए “शीघ्र, तत्काल एवं प्रभावी’’ अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि यह जिंदगी और मौत का सवाल है। लगभग तीन हफ्ते से खदान फंसे लोगों के लिए “प्रत्येक मिनट कीमती” है।

पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को शुक्रवार तक सरकार के उन कदमों से न्यायालय को अवगत कराने का निर्देश दिया था जो वह इस मामले में उठाने के लिए सोच रही है।

न्यायालय के इसी निर्देश पर अमल करते हुये सॉलिसीटर जनरल ने पीठ को वस्तुस्थिति से अवगत कराया।

मेघालय के पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले में पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित इस खदान में पास की लितेन नदी का पानी भर गया था जिसके बाद खदान में काम कर रहे मजदूर अंदर ही फंस गए थे।

सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया था कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कई सदस्य घटनास्थल पर काम कर रहे हैं और सेना की बजाए सरकार ने नौसैन्य कर्मियों को वहां भेजा है क्योंकि खदान पानी में डूब चुकी है।

 

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!