BY– रवि भटनागर
देश में आज की राजनीतिक स्थिति यह है कि सारी की सारी दलीय व्यवस्थायें सामाजिक और आर्थिक सरोकारों से दूर हो कर केवल अस्तित्व की लड़ाई में व्यस्त हैं। सत्ता हासिल करने की महत्वाकांक्षा लिये लगभग सारे दल जोड़ तोड़ खरीद फरोख्त गठबंधन या बेमेल से महागठबंधन कुछ भी़ बना सकते हैं।
राजनीतिक दल चाहे वो राष्ट्रीय दल हों, क्षेत्रीय दल हों या फिर अन्य वे केवल चुनाव जीतने भर की संभावनाएं खोजते नज़र आते हैं और अपने अस्तित्व की मूल भावनाओं को ही दर किनार कर चुके हैं। देश के संविधान के दायरों से बँधे ये सभी दल जीतने की लालसा में धर्म, जातियों, समुदायों और भौगोलिक सीमाओं का वास्ता देकर समर्थन जुटाने की कोशिशों में रोज़ ही संविधान का उलंघन करते हैं। देश के विकास की नीतियों में निरंतरता न रह पाने से देश की दुर्दशा होती जा रही है।
गहन चिंता है शिक्षा के लगातार गिरते हुये स्तर की, भयानक रुप से बढ़ती हुई बेरोज़गारी की, लगातार गिरती ही जा रही न्याय और कानून व्यवस्था की। घोर चिंता है, ग़रीब मज़दूर और किसानों की लगातार बढ़ती दुर्दशा की, बच्चियों और महिलाओं की असुरक्षा की। सांप्रदायिक विद्वेषों के बढ़ते जाने से आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का खतरा बढ़ते जाना भी छोटी समस्या नहीं है। देश की आर्थिक स्थिति और नीतियों में मेल नहीं बैठ रहा। ये स्थितियां आज पैदा नहीं हुईं पिछले लगभग तीस वर्षों से बढ़ते-बढ़ते अब विशाल रुप ले चुकी हैं।
आशा की किरण:
लेकिन देश के इसी समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो तटस्थ है केवल दृष्टा भर तो है पर बेचैन भी है और चिंताग्रस्त भी। ऐसा वर्ग उम्र की सीमाओं में बँधा नहीं है। उस वर्ग में लाखों युवा, अधेड़ और वृद्ध बुद्धि जीवी भी हैं और पढ़े-लिखे और सुलझी मानसिकता वाले ज्ञानी भी। आज की बिगड़ी हुई राजनीतिक व्यवस्था की बेहतरी और कारगर विकल्प देने की पहल ऐसे लोग बहुत ही सहजता से कर सकते हैं।
उनकी साफ छवि व्यक्तित्व और समाज में उनकी स्वीकार्यता उन्हें कम से कम समय में ही व्यवस्था परिवर्तन का दूत बना सकती है। उनकी मान्यताएं और सामाजिक चेतना उनके संपर्क में आने वाली युवा शक्ति की सोच को भी प्रभावित कर पाने की क्षमता रखती है।
यह विशिष्ट वर्ग यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर सकता है कि बिगड़ी हुई छवि के और अशिक्षित प्रत्याशी चाहे वो किसी भी दल के क्यों न हों चुनाव न जीत पायें। बुरी छवि के दलीय प्रत्याशियों से बेहतर है कि बहुत अच्छी छवि के निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीतें। यह कार्य हर जागरुक भारतीय अपनी क्षमताओं के अनुसार राष्ट्र हित में कर सकता है।
राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी ही एक कोशिश योजना बद्ध तरीके से श्री योगेंद्र यादव की अध्यक्षता में स्वराज इंडिया पार्टी ने भी शुरू कर दी है। इस अभियान से जुड़ने या कार्य करने के लिये दल की सदस्यता लेना आवश्यक भी नहीं है। जानकारी के लिये मो. 9845177160 या फिर Ican [email protected] पर भी संपर्क कर सकते हैं।
ऐसे किसी भी प्रयोग का स्वागत किया जाना चाहिए। हम व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर बेहतर राजनीतिक विकल्प की खोज का कार्य अवश्य कर सकते हैं। देश व संपूर्ण समाज का हित ऐसे भी साधा जा सकता है।
लेखक स्वतंत्र विचारक तथा स्वराज इंडिया पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं।