देश में ईसाई को भारत रत्न मिल सकता है तो क्या हिन्दू होना गुनाह है ? : बाबा रामदेव


BY-THE FIRE TEAM


योग गुरु बाबा रामदेव ने भारत रत्न को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि आजादी के 70 साल में किसी सन्यासी को इसे नहीं दिया गया, जबकि कई संतों ने समाज के लिए अतुलनीय योगदान दिया.

यह पूछे जाने पर क्या इसको लेकर उनकी सरकार से शिकायत है, इस पर रामदेव ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कह रहा मगर मैं इशारा कर रहा हूं.

2014 के इलेक्शन में बीजेपी को समर्थन देने वाले बाबा रामदेव ने हाल ही में दावा किया था कि अब उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली है.

बीते दिनों यह पूछे जाने पर कि क्या वह 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार करेंगे, उन्होंने कहा था- मैं क्यों करूंगा ? कुंभ मेले में रविवार को बाबा रामदेव ने कहा-

राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए जिन लोगों को भारत रत्न मिला है, उनके प्रति पूरा सम्मान है,  फिर भी एक भी भगवाधारी सन्यासी को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार क्यों नहीं मिला ?

बाबा रामदेव ने कहा- महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद का क्या देश के लिए योगदान किसी नेता या खिलाड़ियों से कम है. इसी क्रम में बाबा ने कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के संत

शिवकुमार स्वामी के योगदान का भी जिक्र किया, जिनका हाल में निधन हुआ है. बाबा रामदेव ने कहा- ‘उन्होंने’ मदर टेरेसा को  भारत रत्न दिया, क्योंकि वह ईसाई थीं. मगर उन्होंने अन्य सन्यासियों को नहीं दिया, क्योंकि वे हिंदू थे.

रामदेव ने सवाल उठाते हुए कहा- क्या इस देश में हिंदू होना गुनाह है ? मदर टेरेसा को को 1980 में भारत रत्न से नवाजा गया था. हालांकि रामदेव ने यह भी कहा कि वह धर्म के आधार पर भेदभाव करने का समर्थन नहीं करते हैं.

उन्होंने कहा कि उन सभी संतों को भारत रत्न मिलना चाहिए, जो देश और समाज के भले के लिए काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि रामदेव का बयान ऐसे वक्त आया है,

जब कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं ने मरणोपरांत शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न देने की मांग उठाई है. उनका 111 साल की उम्र में पिछले हफ्ते निधन हो गया था.

बाबा रामदेव ने कहा कि मुझे आगे 60-70 साल इस देश के लिए काम करना है. मैं नहीं देखना चाहता कि देश के बच्चे कमजोर हों. हर बच्चे को हेल्थ और एजूकेशन मिले, सफलता के समान अवसर मिलें.

यह तभी संभव होगा, जब जनसंख्या सीमित होगी, सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलने चाहिए. क्योंकि संसाधन सीमित है. मात्र बच्चे पैदा कर देना ही देशभक्ति नहीं है.

हमें एक जागरूक नागरिक होने का परिचय देना चाहिए. अगर हमने जनसंख्या कम करने की नहीं सोची तो फिर देश की आबादी ढाई सौ करोड़ हो हो जाएगी.

यह पूछे जाने पर कि महागठबंधन या कांग्रेस में से किससे पीएम मोदी को चुनौती मिलेगी ? इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि न मैं किसी को लेकर निगेटिव बोल रहा हूं न पॉजिटिव. साधु पक्ष-विपक्ष से परे निष्पक्ष होता है.

मैं स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार, चरित्र निर्माण आदि की दिशा में काम कर रहा हूं. दो लाख लोगों को मैने रोजगार देने के साथ और एक करोड़ से ज्यादा किसानों को अपनी मुहिम से जोड़ा हूं.

इस देश में राजनीति ही अंतिम सत्य नहीं है. देश अपने स्वभाव से आगे बढ़ता है.

 

 

 

 

 

 

 

 

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