बजट 2019-20: तभी समझ में आएगा जब आप इन 20 Points को जानेंगे


BY-THE FIRE TEAM


1 फरवरी 2019 को सरकार अपना आंतिम बजट 2019 (Budget 2019) पेश करेगी। बजट 2019-20 के बाद ही ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव आयोग, लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा करेगा।

इस बार वित्त मंत्री पीयूष गोयल बजट की घोषणा करेंगे। लेकिन बजट पर वित्त मंत्री का भाषण आप तभी समझ पाएंगे जब आप इन शब्दों को समझते होंगे। आइए जानते हैं उन शब्दों के बारे में-

विनिवेश (Disinvestment)

विनिवेश का मतलब होता है कि अगर सरकार अपनी किसी पब्लिक सेक्टर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र में बेच दे। सरकार द्वारा यह हिस्सेदारी शेयर के द्वारा बेची जाती है।

यह हिस्सेदारी किसी कंपनी या किसी एक व्यक्ति को बेची जा सकती है।

बांड (Bond)

जब केंद्र सरकार के पास पैसों की कमी हो जाती है तो वह बाजार से पैसा जुटाने के लिए बांड जारी करती है। यह एक तरह का कर्ज होता है।

जिसकी अदायगी पैसा मिलने के बाद सरकार द्वारा एक तय समय के भीतर की जाती है। बांड एक तरह से कर्ज का सर्टिफिकेट होता है।

बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance Of Payment)

केंद्र सरकार व राज्य सरकारों व विश्व के अन्य देशों में मौजूद सरकारों द्वारा जो भी वित्तीय लेनदेन होता है उसे बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है।

बैलेंस बजट (Balance Budget)

बैलेंस बजट का मतलब है- सरकार की आय और व्यय दोनों ही बराबर है।

कस्टम ड्यूटी (Custom Duty)

जब किसी देश से कोई सामान भारत आता है तो उस पर जो कर लगता है वह कस्टम ड्यूटी कहलाती है। आम भाषा में इसे सीमा शुल्क भी कहते हैं। समुद्र या हवा के रास्ते जैसे ही सामान भारत में आता है उस पर यह टैक्स लगता है।

एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty)

एक्साइज ड्यूटी उन सामानों पर लगता है जो देश में बनते हैं और बिकते हैं। इसे उत्पाद शुल्क भी कहते हैं। यह कर उत्पादन और बिकने पर लगता है। उत्पाद शुल्क का सबसे अच्छा उदाहरण पेट्रोलियम और शराब माना जा सकता है।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

सरकार की ओर से लिया जाने वाला अतिरिक्त कर्ज राजकोषीय घाटा कहलाता है। राजकोषीय घाटा घरेलू कर्ज पर बढ़ने वाला अतिरिक्त बोझ है। सरकार इससे आय और खर्च के अंतर को दूर करती है।

बजट घाटा (Budget Deficit)

देश के वित्तीय घाटे और ब्याज की अदायगी के अंतर को प्राथमिक घाटा कहते हैं। प्राथमिक घाटे के आंकड़े से पता चलता है कि सरकार के लिए ब्याज अदायगी कितनी बड़ी या छोटी समस्या है।

विकास दर (GDP)

जीडीपी का पूरा नाम सकल घरेलू उत्पाद होता है। जीडीपी किसी वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का जोड़ होता है।

प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)

प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो हम और आप सीधे जाकर इनकम टैक्स ऑफिस में जमा करते हैं। यह कर व्यक्तियों या संगठनों की आमदनी पर लगाया जाता है। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर, कॉरपोरेट टैक्स आदि प्रत्यक्ष कर के तहत आते हैं।

वित्त विधेयक (Financial Bill)

वित्त विधेयक के माध्यम से ही आम बजट में वित्त मंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के लिए नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं। वित्त विधेयक सरकार बजट पेश करने के दौरान हर साल करती है।

शॉर्ट टर्म कैपिटल असेट (Short Term Capital Asset)

36 महीने से कम समय के लिए रखे जाने वाले पूंजीगत एसेट्स को शार्ट टर्म कैपिटल असेट कहते हैं। वहीं शेयर, सिक्योरिटी और बांड आदि के मामले में इसकी समय सीमा बदलकर 12 महीने हो जाती है।

अप्रत्यक्ष कर (In Direct Tax)

हम सभी जब कोई सामान खरीदते हैं तो देखते हैं कि उसमें अलग से जीएसटी जोड़ा गया है। यह इनडायरेक्ट टैक्स होता है।

कैपिटल असेट (Capital Asset)

जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदता है तो खरीदी प्रापर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है। यह बांड, शेयर, कच्चा माल, जमीन कुछ भी हो सकता है।

कैपिटल गेन्स (Capital Gains)

पूंजीगत एसेट्स को बेचने या लेनदेन से होने वाला मुनाफा कैपिटल गेन्स कहलाता है।

असेसी (Assessee)

असेसी उस व्यक्ति को कहते हैं जो इनकम टैक्स के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता है।

पिछला वित्त वर्ष (Previous Financial Year)

यह एक वित्तीय वर्ष है जो कर निर्धारण से ठीक पहले आता है। अप्रैल 1 से शुरू होकर 31 मार्च को यह खत्म होता है। इस दौरान कमाई गई रकम पर निर्धारित टैक्स देना होता है।

वित्त वर्ष (Financial Year)

यह वित्तीय साल होता है जो कि एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। फिलहाल इस साल वित्त वर्ष को सुविधाजनक बनाने के लिए 1 जनवरी से 31 दिसंबर करने पर विचार किया जा रहा है।

कर निर्धारण वर्ष (Assessment Year)

कर निर्धारण साल किसी वित्त वर्ष का अगला साल होता है। जैसे अगर वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 होगा।

आयकर छूट (Income Tax Exemption)

टैक्सपेयर्स की वह इनकम जो टैक्स के दायरे में नहीं आती यानी जिस पर कोई भी टैक्स नहीं लगता है।

(SOURCE-DAILY HUNT)

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