वर्तमान समय में भारत की राजनीति- सुशील भीमटा


BY- सुशील भीमटा


आज कांग्रेस और भाजपा दोनों बड़े राजनितिक दलों में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति 2019 के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए खूब उफान पर है और देश आरजकता, वहशियत और आर्थिक मंदी से ग़ुजर रहा है।


कहीं नेहरू जी और 
कांग्रेस सरकार की नाकामियों के पैगाम देश को दिए जा रहे तो कहीं प्रधान सेवक पर नोटबंदी, रॉफेल और रिजर्व बैंक से आर्थिक संकट के लिए रखे संचित धन की निकासी की बातें चल रही है। इस तरह देश में चुनावी हवा चल रही है।

ये सब जानतें हैं कि ये सब 70 सालों से होता आ रहा है मगर आज हद ये हुई कि जुमलों और ड्रामों का दौर इस कदर सर चढ़कर बोल रहा है कि कोई दलित के घर रोटी खाकर और प्यार जताकर ढोंग कर रहा है। तो कोई माँ को एटीएम की कतारों में खड़ा करके और सफाई कर्मियों के पाँव धुलाकर सहानुभूति जुटा रहा है। लोकतंत्र सरेआम हिचकोले खा रहा और फुटबाल बनाया जा रहा है।


आज काँगेस सरकार के नेता भाजपा सरकार की दमनकारी नीतियों का खुलकर विरोध कर रहें हैं। आज नोटबंदी, मंहगाई, रॉफेल घोटाला, कालाधन, देश पर हुए पांच साल में पांच आतंकी हमलों की चर्चा हर जूबां पर है।


क्योंकि चुनाव आने वाले है। ये सब सच्च भी है।
सवाल ये है कि अगर-:

देश की जनता भविष्य में कांग्रेस के पक्ष में अपना मतदान करती है तो क्या काँगेस इन समस्याओं को दूर करनें का वादा देश की जनता से कर रही है?
क्या काँगेस भविष्य में इन मुद्दों को सुलझाकर देश को राहत दे पायेगी?
मेरे मुताबिक देश की जनता ये सवाल अवश्य 
कांग्रेस पार्टी के नेताओं से करेगी और करने भी चाहिए। आखिर कब तक हम कटपुतली की तरह इनके इशारों पर नाचते रहेंगे और क्यों?


दूसरी तरफ 2014 में भाजपा सरकार के किए वादों से आहत जनता कब तक ये अन्याय सहेगी?
कालेधन की वापसी नोटबन्दी में बदल गई और 150 अपनें ही देशवासियों के जान निगल गई। स्विस बैंक से कालाधन तो वापस लाना सपना बनकर ही रह गया बदले में नीरव मोदी और विजय 

माल्या जैसे रसूखदार देश के चौकीदार की चौकीदारी में बैंकों को लूट गए। रॉफेल के नाम पर घोटाला बस चौकीदार का बोलबाला।
देश की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कि पठानकोट बेस कैंप में साहिब की चौकीदारी में हमला और पुलवामा में आतंकी मौत का तांडव कर गए और 
साहेब कोंग्रेस पर ईलाज लगाते रहे गए। जैसा कि समस्त देश जानता है कि 2014 में चुनावी प्रचार के समय साहेब सरेआम कह गए कि पता नही कांग्रेस सरकार के राज में पिछले 60 सालों में कैसे आतंकी और इतनी मात्रा में गोला बारूद देश में लाया जाता और घुस आता है। ये सवाल आज देश की जनता आपसे करती है कि आप तो चौकीदार बनकर आये थे। फिर किसकी और कैसी चौकीदारी की इन पांच सालों में जो देश पर पांच बड़े आतंकी हमले हुए?
कैसा कालाधन लाया जो आज रिजर्व बैंक से ही सुरक्षित रखा 28000 करोड़ उठाया ? अब इरादे आर्थिक गुलामी के साफ नजर आनें लगे हैं। बाढ़ ही खेत को खाने लगी है। राजनीति आवाम का सब्र आजमानें लगी है।


दूसरी और विपक्ष सिर्फ मुद्दे उछाल रहा है और जनता को रीझा रहा है । कोई वादा नही कोई ईरादा नही बस ईलाज और रोता बिलखता
हिंदुस्तान है। जब तक इन सब राजनितिक दलों पर कोई कानूनी लगाम नही तब तक देश की दुर्दशा और गूरबत का कोई समाधान नही।

एक ने कश्मीर को धारा 370 और अनुछेद 35 लगाकर जाति-धर्म के नाम पर लड़वाकर राज किया।
दूसरे नें इसको आड़ बनाकर राज किया। इसके बलबूते राजनिति पलटती रही और देश की दुर्दशा करती रही। आज कोई एक नही ये दोनों ही दल देश की आवाम के गुन्हेगार है।
देश की ज्यादातर मीडिया इन दोनों की बोली बोलती रही और जाति-धर्म के नाम पर जहर घोलती रही। आज हर खुलासे का
श्रेय सोशल मीडिया को मिलना चाहिए जो आज हर घटना का खुलासा जनता के सामने कर रही है।


आज देश की सबसे बड़ी अदालत में धारा 370 की सुनवाई तब संभव हो पाई जब जनता जागी वर्ना आज भी ये ना हो पाता! अब इन्तजार तो बस ये है कि फैसला जनता के पक्ष में किया जाएगा या आज भी राजनीति अपना दबदबा दिखाती है! जैसा सीआईडी, ईडी और आरबीआई के गवर्नर के मामलो में हुआ?

आज फिर देश की आवाम के सामनें एक मौका हैं कि इन दोनों से उन मुद्दों के निदान का वादा ले जिनके वादे इन्होंने हर चुनाव में देश की जनता से किए थे। और कश्मीर के मसले को हमेशा के लिए हल करनें के लिए देश में समान कानून लानें की मांग करे आगामी लोकसभा चुनाव से पहले। ये एक बड़ा सवाल है जिसने आज तक आजादी का एहसास तक नही होनें दिया, बल्कि 1.25 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य ने 130 करोड़ वाले देश को बर्बादी पर ला दिया।


चंद नेता जो दोनों और अन्य सभी राजनितिक दलों में ईमानदार और वतनपरस्त है उनसे भी निवदेन है कि देश हित के लिए जनता के बीच आकर और साथ खड़े होकर देश बचानें में सहयोग करें। समाधान एक ही है कि इन सभी राजनितिक दलों पर कानूनी लगाम और धारा 370 का निदान तभी सांसे ले पायेगा 
हिंदुस्तान।


चुनावी घोषणा पत्र को कानून के दायरे में लाना और कम से कम 70% घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए इन्हें कानूनी निर्देश दिए जानें चाहिए। तभी जुमलों से निजात और आवाम को राहत मिलेगी। साथ ही धारा 370 को हटाकर जम्मू-काश्मीर में घर घर आतंकी तलाशी अभियान चलानें के भी आदेश पारित होनें चाहिए।आजाद काश्मीर और ये राजनीति 70 साल की आजादी का एहसास निगल गए और हम टुकड़ों में बिखर गये। 2019 में हमें आजादी चाहिए।

जनता

सुशील भीमटा

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