BY- THE FIRE TEAM
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के
आज रसायन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस “ग्लोबल कॉन्फ्रेन्स ऑन द कंट्रोल ऑफ ग्रीन हाउस गैसेस ऐट द सौर्स बाई फिजिकल एंड केमिकल टेक्नोलॉजी” का अयोजन हुआ।
इस कॉन्फ्रेंस में देश विदेश से लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें देश विदेश के अनेकों प्रतिष्ठित वैज्ञानिक व विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेस और शोध छात्रों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो महेंद्र प्रसाद जो कि कनाडा से विशेष तौर पर इस कॉन्फ्रेन्स में भाग लेने आये थे और इसकी अध्यक्षता अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा ने की।
कांफ्रेंस की में पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतोभागियों को प्रस्सति पत्र प्रदान किये गए। इसी प्रकार मौखिक प्रस्तुति देने वाले शोध छात्रों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले शोधार्थियों को भी सम्मानित किया गया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो कुलदीप ढींडसा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन केवल भारत के लिए ही नही बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बन चुका है इसके दूरगामी दुष्परिणामों को रोकने के लिए वैज्ञानिकों सामान्य नागरिकों व सभी देशों की सरकारों को मिलकर द्रुत गति से हल निकालने होंगे।
इसके लिए सबसे पहला कदम ग्रीन हाउस गैसों को उनके उद्गम स्थल पर ही रोकने का प्रयास करना होगा। डीजल और कोयले की खपत को आज की मात्रा से कम से कम 60 से 70% नीचे लाना होगा।
उन्होंने कहा है कि मीथेन गैस भी जलवायु परिवर्तन का एक बहुत बड़ा कारक है क्योंकि कई कृषि प्रसंस्करण में मीथेन गैस उत्पन्न होती है।
इसलिए कृषि वैज्ञानिकों को फसल चक्र में परिवर्तन करने के लिए नई किस्म के धान की प्रजातियों के इस्तेमाल करना होगा।
रसायन शास्त्र केंद्रीय विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से आये वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ एम एल शर्मा ने कहा कि इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के भिन्न भिन्न पहलुयों पर बड़ी गंभीरता और गहनता से विचार किया गया।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का निष्कर्ष भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा।
बांग्लादेश के चिटगांव विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो सिद्दकी ने कहा कि जहां तक जलवायु परिवर्तन का सवाल है भारत और बांग्ला देश दोनों ही एक जैसी समस्याओं से झूझ रहे हैं।
उनका मानना है कि दोनों देशों को मिलकर जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों को रोकने के लिए एक सांझ योजना बनाने की जरूरत है।
आईआईटी धनबाद से पधारे प्रो डी डी पाठक ने इस विषय में कहा है कि दक्षिण एशिया के देशों की संस्कृति और समस्याएं समान है और हमें आपसी सहयोग एवं समन्वय एक सांझा विचारपत्र तैयार करना चाहिए और जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में वैज्ञानिकों, उद्योगपतियोंसरकारों और सामान्य नागरिकों को एकजुट प्रयत्न करने होंगे।
प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय के प्रबंधों पर विशेषकर प्रो कमान सिंह एवं उनकी टीम द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की । हर प्रतिभागी अनुभव कर रहा था कि उसने इन तीन दिनों में जलवायु परिवर्तन के बारे में लेटेस्ट ज्ञान प्राप्त किया है।
इस अवसर पर प्रो कमान सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के महत्व को देखते हुए हर प्रतिवर्ष भविष्य में इस तरह के आयोजन किये जाते रहेंगे ताकि सामान्य जनता को भी जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक किया जा सके।
अंत में कार्यक्रम के समापन पर रसायन विज्ञान विभाग BBAU लखनऊ की शिक्षक डॉ प्रीति गुप्ता जी ने कार्यक्रम में आये सभी मुख्य अतिथि सहित सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञान किया।