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आज सुल्तानगंज के सीतारामपुर स्थित एक धर्मशाला में सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के कार्यकर्ताओं की आयोजित बैठक में

सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक सवर्ण आरक्षण को जायज ठहराने को दुर्भाग्यपूर्ण बताकर तीखी आलोचना की गयी.

इस मौके पर सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रामानंद पासवान और गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सवर्ण आरक्षण के पक्ष में आए फैसले से

इस देश के दलितों-आदिवासियों व पिछड़ों और सामाजिक न्याय पक्षधर शक्तियों को गहरा आघात लगा है. इस मसले पर न्याय की अंतिम उम्मीद भी टूट गयी है.

सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) का क्षेत्रीय (पूर्व बिहार) सम्मेलन 27 नवंबर को भागलपुर में होगा. बैठक को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार)

के रिंकु यादव ने कहा कि सवर्ण आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले ने नीचे से ऊपर तक न्यायपालिका में एससी,

एसटी व ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण के एजेंडा पर निर्णायक लड़ाई की जरूरत को रेखांकित किया है.

बैठक में सामाजिक न्याय के मुद्दे के साथ स्थानीय स्तर के मुद्दे पर चर्चा हुई तथा तय हुआ कि जातिवार जनगणना कराने, नीचे से ऊपर तक

न्यायपालिका व निजी क्षेत्र में एससी, एसटी व ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने, ओबीसी आरक्षण को आबादी के अनुपात में करने,

संविधान विरोधी सवर्ण आरक्षण को रद्द करने, महंगाई रोकने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को वापस लेने, शिक्षा व स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने

और सभी सरकारी रिक्तियों को भरने के साथ हर हाथ को काम की गारंटी देने, जनवितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने के साथ

सभी जरूरी खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने सहित अन्य सवालों पर सम्मेलन की तैयारी में व्यापक बहुजन आबादी के साथ संवाद कायम करना है.

सम्मेलन में भूमिहीन बहुजनों को वास व कृषि भूमि देने, सिंचाई, अस्पताल में समुचित ईलाज की गारंटी, कटाव पर रोक लगाने, राशन कार्ड में अनियमितता व जनवितरण प्रणाली में

भ्रष्टाचार पर रोक लगाने, विश्वविद्यालय व स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई सहित अन्य स्थानीय सवालों पर भी संघर्ष तेज करने को लेकर चर्चा होगी.

बैठक को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के शंकर बिंद और नवल किशोर गौतम ने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे हो गये हैं, लेकिन आज भी मेहनतकश बहुजन आबादी हर लिहाज से हाशिए पर है.

सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक न्याय का सवाल अनुत्तरित है. नरेन्द्र मोदी सरकार तो बहुजनों द्वारा हासिल अधिकारों को छीन रही है और मुट्ठी भर सवर्णों व कॉरपोरेटों के हित में काम कर रही है.

जयमल यादव और विजय कुमार दास ने कहा कि संविधान व लोकतंत्र ने बहुजनों के लिए सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक न्याय हासिल करने के लिए रास्ता खोला था.

इसलिए मोदी सरकार बहुजनों पर ब्राह्मणवादी सवर्ण व कॉरपोरेट गुलामी को थोपते हुए संविधान व लोकतंत्र को खत्म कर रही है, मनुविधान व तानाशाही थोप रही है.

बैठक में रामानंद पासवान, शंकर बिंद, नवल किशोर गौतम, लाल बिहारी दास, जयमल यादव, रामदेव यादव, शिशिर सिंह, शंकर दास, योगेन्द्र दास, विजय कुमार दास, डोमी पासवान सहित कई एक मौजूद थे.

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