लखीमपुरखीरी: देश भर में किसान संगठनों ने एकजुट हो शहीद किसानों के लिए ज्ञापन देकर मांगा न्याय

  • कार्यक्रम में दो मिनट का मौन रखकर शहीद किसानों को दी गई श्रध्दांजलि 

किसान संगठनों ने कहा कि पिछले साल आज ही के दिन तिकोनिया, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन

कर वापस लौट रहे किसानों पर थार गाड़ी चढा़ दी थी. इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए, 13 से अधिक किसान बुरी तरह घायल हुए.

इस घटना के पीछे सुनियोजित षड़यंत्र था जिसे बाहुबली अजय मिश्र टैनी ने अपने बेटे आशीष मिश्र टेनी के साथ मिलकर रचा था.

देश भर में इस कुकृत्य के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुआ था. शहीद किसानों के अंतिम संस्कार के दौरान किसान नेताओं के साथ

सरकार का कुछ मांगों पर समझौता हुआ लेकिन उन मांगों पर न तो केन्द्र सरकार और न ही राज्य सरकार ने कोई ध्यान दिया.

आजादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया तब जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक

राज्य सरकार से बैठक कराने का वादा भी किया लेकिन आज तक मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को या उस समझौते में शामिल अधिकारियों को किसान नेताओं के साथ मीटिंग करने की फुर्सत नहीं मिली.

आज लखीमपुर के उन पांच किसानों की सुनियोजित हत्या को एक साल हो गया है, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला.

मजबूरन आज देश भर में किसान संगठनों ने एक बार फिर लखीमपुर के शहीद किसानों के लिए निम्नलिखित न्याय की मांगों को दोहराया:

1.] लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए और उसको तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए

3 अक्टूबर की घटना के संबंध में हमने जो शिकायत, एफआईआर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी, उसके विभिन्न पहलुओं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

अजय टैनी ही वह दोषी है जिनके आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने 3 अक्टूबर को तिकोनिया में विरोध दर्ज किया था.

उन्होंनें ही 25 सितंबर, 2021 में एक सभा में खुले मंच से एक धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़कर कर बाहर करने की धमकी दी थी, जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था.

एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120 बी यानी हत्या का सुनियोजित षड़यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है.

इसके बावजूद आपकी सरकार द्वारा अजय टैनी को बचाने के प्रयास जारी है, और सबसे ज्यादा शर्मनाक उनका आज तक केन्द्रीय मंत्री बने रहना है.

इतना ही नहीं अजय टैनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानबजी आज भी जारी है.

आपसे आग्रह है कि अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करते हुए लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के दोष में जेल भेजें.

2.] जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी केसों की वापसी 4 अक्टूबर, 2022 को हमारे शहीद हुए 5 साथियों के अंतिम संस्कार

के दौरान पुलिस कमिश्नर लखनऊ निरंजन कुमार, वरिष्ठ आई जी पुलिस लक्ष्मी सिंह, तत्कालीन डीएम, एस.एस.पी. से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी

कि हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इस घटना को

गंभीर व एका-एक उकसावे से पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है,

उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर तुरंत जमानत दे देगी. आश्वासनों के विपरीत हमारे चार साथियों को धारा 302 आईपीसी

के तहत आज तक जेल में डाला हुआ है और इन्हें जमानत न मिल सके, इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी करते हैं.

हम आपसे एक बार फिर कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है.

किसी कारण से आपकी सरकार इसको मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर यह दमन कर रही है.

हमारा आपसे आग्रह है कि इन चार साथियों के ऊपर लगाए गए आरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाने और दोषमुक्त करें.

3.] शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वायदा पूरा करो

सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक शहीद हुए साथी के परिजनों को 45 लाख रूपये

मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी और सभी घायलों को 10 लाख रूपये का मुआवजा देगी.

लेकिन बड़े खेद का विषय है कि सरकार ने केवल 5 शहीद हुए साथियों के परिवारों को 45 लाख रूपये मुआवजा दिया है.

बाकी सभी आश्वासनों को पूरा करने में आपकी सरकार लगातार मुकर रही है. राज्य सरकार ने इस घटना में घायल हुए 13 साथियों को

अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया और न ही शहीद हुए 5 किसान साथियों के परिवार में किसी को सरकारी नौकरी दी.

इतना ही नहीं इस घटना से संबंधित गवाहों पर जानलेवा हमले भी हुए, पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमें थोपने और डराने धमकाने की साजिशें होती रही हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा ने आग्रह किया है इस घटना के सभी गवाहों और पैरवी कर रहे किसान नेताओं की मजबूती से

सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है जो की जानी चाहिए, ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके.

कार्यक्रम में दुखहरन राम, रविन्द्र नाथ राय, का.नंदलाल, राजीव यादव, राजेश आज़ाद, रामराज, दानबहादुर मौर्या,

राहुल विद्यार्थी, विनोद यादव, मुकेश, अवधेश यादव, राजेश यादव आदि ने अपनी बातें रखीं.

{राजेशआज़ाद की कलम से} 

 

  

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