प्राप्त सूचना के अनुसार जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता महबूबा ने मीडिया के सामने कहा कि- “अगर कश्मीर में स्थिति सामान्य है तो यहां संतुष्टि की आवाज क्यों उठ रही है. उन्होंने हमारा झंडा हटा दिया और हमारी गरिमा को छीन लिया है.”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि उनके पार्टी समर्थकों ने घाटी में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश किया किंतु उन्हें पुलिस हिरासत में ले लिया गया. यह कहीं ना कहीं सरकार द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों को तोड़ने का प्रयास है.
वर्तमान कश्मीर की हालत को देखकर ऐसा लग रहा है कि जिस संविधान की रचना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने किया था, जिसकी हम ईमानदारी और निष्ठा से पालन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं. उस संविधान की झलक यहां नहीं दिख रही है.
कश्मीर में शांति व्यवस्था, युवाओं को रोजगार के अवसर आदि के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए महबूबा ने हरियाणा राज्य का उदाहरण देकर कहा कि-
“यदि इस राज्य में 70% नौकरियों में आरक्षण राज्य के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित किया जा सकता है तो हमारे राज्य में युवाओं के लिए आरक्षण क्यों नहीं हो सकता है.”
वर्तमान दौर की बात करें तो जम्मू कश्मीर के हालात ऐसे बन गए हैं कि यहां के लड़के, लड़कियां बाहर के लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाने में पूरी तरह सक्षम नहीं है.
महबूबा ने सीधे तौर पर सवाल किया कि जब दिल्ली, चीन के साथ आठवें दौर की वार्ता में उलझी हुई थी जो हमारी जमीन की 1000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया तो केंद्र को डोगरा और कश्मीरियों से बात करने में क्या समस्या है.