BY-THE FIRE TEAM
इस समय देश में जिस तरह का विरोध प्रदर्शन आरक्षण को लेकर किया जा रहा है वह हिंसक होती जा रही है. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम में संशोधन को लेकर देश के कुछ हिस्सों में चल रहे विरोध के बीच राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर ने कहा है कि-
संसद द्वारा इस कानून में हाल ही में किए गए संशोधन से समाज का एक बड़ा तबका ‘‘थोड़ा’’ नाराज है।साथ ही उन्होंने आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की भी मांग की.
‘उदय विलास पैलेस’ नामक अपने स्थानीय आवास से उन्होंने कहा – ‘‘आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा कर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह सुविधा सिर्फ उन्हें ही मिले जो वाकई इसके जरूरतमंद हैं.’’
हर्षवर्धन सिंह ने कहा, ‘‘डूंगरपुर जैसे जिले में लगभग हर बड़े राजनीतिक पद पर जातिगत आरक्षण है। इस व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए ताकि सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिल सके.’’
भाजपा सांसद ने यह भी दावा किया कि दक्षिणी राजस्थान में ‘‘नरम नक्सलवाद’’ पांव पसार रहा है और हालात पर अगर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो यह समस्या बढ़ सकती है.
राज्य प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी सांसद के दावे की पुष्टि करते हुए बताया कि- दक्षिणी राजस्थान के तहत आने वाले उदयपुर संभाग में नक्सल गतिविधियों की सूचनाएं मिलती रही है और इस पर लगाम लगाने के लिए उचित कार्रवाई की जा रही है.
सांसद ने कहा – ‘‘नक्सलियों ने जिस तरह पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि को ‘लाल गलियारा’ बना रखा है, उसी तरह दक्षिणी राजस्थान को उन्होंने ‘गुलाबी’ रंग से चिह्नित किया है.
हमारे कुछ इलाकों में ‘भील प्रदेश’ नाम से अलग राज्य की मांग की आड़ में गैर-कानूनी गतिविधियां चलाई जा रही हैं. इसे एक तरह से ‘नरम नक्सलवाद’ (सॉफ्ट नक्सलिज्म) कहा जा सकता है.’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘यहां से कई लोग तो बाहर भी गए हैं, कुछ छत्तीसगढ़ गए हैं, वहां से प्रशिक्षण लेकर आए हैं।’’
आगामी चुनावों में भाजपा के सामने चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर हर्षवर्धन सिंह ने स्वीकार किया कि गुटबाजी और अपने ही कुछ लोगों से भितरघात का खतरा तो है. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा – ‘‘यह चुनौती तो कांग्रेस के भी सामने है.
राजस्थान सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर लोगों की हत्या कर दिए जाने की घटनाओं पर सांसद ने कहा, ‘‘ऐसी घटनाएं निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण हैं. इन घटनाओं से हमारे समाज में वैमनस्य बढ़ रहा है, जो गलत है. ऐसे मामलों के दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.’’
आपको बताते चलें कि दलितों पर कुछ अमानवीय अत्याचार की घटनाएं देश के कई हिस्सो में घटित हुई हैं जिसके कारण कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगे हैं.
ऐसी गतिविधियां किसी भी स्तर से बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिए शासन-प्रशासन के द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं.