मनमाना कृषि कानूनों के विरुद्ध किसान संगठनों का दल पहुंचा सर्वोच्च न्यायालय की शरण में

भीषण ठंड के इस मौसम में पिछले 2 सप्ताह से अधिक समय तक सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान संगठनों की मांगों को सरकार के द्वारा जब नहीं सुना गया तो वे अब सर्वोच्च न्यायालय की शरण में पहुंच चुके हैं.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए किसान संगठनों ने कोर्ट में एक याचिका दायर किया है.

इस याचिका में भारतीय किसान यूनियन की तरफ से कृषि बिल के जुड़े कानून को रद्द करने की मांग की गई है, याचिका को दाखिल करते हुए अधिवक्ता एपी सिंह ने इन तीनों कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग किया है.

इसमें बताया गया है कि यह अधिनियम अवैध तथा मनमाने हैंm इन कानूनों के आने से कृषि उत्पादन के संघबद्ध होने और व्यवसायीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा.

इस कानून के कारण किसान अपने ही खेत का बधुआ मजदूर हो जाएगा, वह मल्टीनेशनल कंपनियों तथा कारपोरेट घरानों की दया पर आश्रित हो जाएगा.

किसानों ने आंदोलन को उग्र रूप देने की भी चेतावनी दिया है जिसके कारण चारों तरफ पुलिस अलर्ट कर दिया गया है. ऐसी सूचना है कि किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करने के साथ

रेलवे ट्रैक पर भी प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. ऐसे में प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए पंचगांव चौक, राजीव चौक, इफको चौक और सिरहोल टोल को चिन्हित करते हुए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया है.

किसानों के इन विरोध को देखकर कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी अपना समर्थन जताया है हालांकि किसानों ने बिना राजनीतिक वादों और झंडे के ही इन जैसे नेताओं के साथ अपना मंच साझा किया है.

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