हां साहब भीड़ से डर लगता है।


BYनरेन्द्र चौहान


क्या सही क्या गलत क्या यह फैसला भीड़ करेगी? अगर हाँ तो हां इस देश में “डर” लगने की बात कहां गलत है। बछडे का कटा सिर मिलना निंदनीय है लेकिन यह सब किसने किया, क्यों किया क्या इसकी तह तक जाने से पहले ही विरोध का यह हिसंक स्वरूप जायज था?

चलिए मान लेते हैं भीड का जो गुस्सा फूटा उसकी वजहें और भी हैं। जैसे कि नशे की तस्करी या फिर पार्लरों की आड में अनैतिक कार्य होने की सूचनाएं मिलना इत्यादि। जरा सोचिए इन सब के लिए कौन ज्यादा जिम्मेवार है। यह सही है कि रोहडू में बाहरी राज्यों से बडी संख्या में लोग आकर छोटा मोटा कारोबार करने लगे हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि बाहरी राज्यों से आए इन लोगों में से अधिकांश स्थानीय थानों में पंजीकृत नहीं हैं और कुछ लोग अवैध कारोबार व अनैतिकत कार्यों में भी संलिप्त हों। इन पर नकेल कसने का जिम्मा प्रशासन व पुलिस का है। जिस पर प्रशासन व पुलिस ने काम भी शुरू कर दिया था।

लेकिन सब्जी बेचना, बाल काटना, गाड़ियों की रिपेयर का काम करना, कपडे सिलना जैसा काम करने वाले सारे लोगों को अपराधियों का दर्जा देना कितना सही है? धार्मिक भावनाओं का आहत होना और उसका प्रदर्शन करना अगर आपके धार्मिक होने का प्रमाण है तो दुकानों की लूटपाट को किस बात का प्रमाण माना जाए। कल हमारे जो युवा यलगार कर रहे थे क्या उनका अहम उन्हें यहां बाजार में सब्जी का ठेला लगाने का इजाज़त देगा, क्या बेरोजगारी का दंश झेल रहा हमारा युवा कैंची थाम बाल काटने का साहस जुटा सकेगा?

एक और बडी क्या हजारों लोगों की यह भीड़ हमारी युवा पीढी को लील रहे ड्रग माफियों के खिलाफ भी ऐसा आक्रोश दिखाएगी। सवाल बहुत हैं जवाब देने का जिम्मा कोई अपने सर नहीं लेना चाहता। हां बिना सोचे समझे भीड़ का हिस्सा बनने से किसी को गुरेज नहीं। क्योंकि अपने अंदर दबी कुंठा, गुस्से व भड़ास को निकालने की इससे अच्छा अवसर हम सबको नहीं मिल पाता। शायद यही वजह है कि देश भर में भीड़तंत्र हावी हो रहा है। यही मंजर अपने शांत रोहडू ने भी देखा। यहां भी भीड़ के आगे प्रशासन व पुलिस बौने नजर आए। जरा सोचिए जिस प्रशासन व पुलिस पर वहां के नागरिकों की जान माल की रक्षा का जिम्मा हो उसकी मौजूदगी में ही लूट पाट की घटना घट जाए तो इस लोकतांत्रिक देश की कानून वयवस्था पर कितना विश्वास किया जा सकता है। साहब ऐसे हालात में भीड़ से डर तो लगेगा ही।

लेखक स्वतंत्र विचारक हैं तथा हिमाचल प्रदेश में रहते हैं।

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