फल सब्जियों की पेमेंट से जूझता और टूटता हिमाचल का किसान-बागवान


BY- THE FIRE TEAM


हिमाचल की सेब मंडियों में बागवानों, आढ़थीयों वह खरीददारों के लिए अगर दूरदर्शिता से नियम नही बनाये गए तो बागवानों की आय पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

जैसा हम सब बागवान जानतें है कि जबसे हिमाचल प्रदेश में सेब मंडियों को खोला गया है तबसे हमें हमारे उत्पाद सही दाम और सम्मान दोनों मिले हैं नहीं तो दिल्ली में बिल्ली बनकर सेब बेचना पड़ता था।

मगर आज हिमाचल के अपने ही कई क्षेत्रों में फल, सब्जी मंडियों की भरमार है जिससे हमें सरोकार है क्योंकि सेब के बाग और सब्जियों की पैदावार ही हमारे पालनहार है।

इसके लिए हमारे पूर्व बागवानी मंत्री श्री नरेन्द्र बरागटा जी बधाई के हकदार है इसमें कोई दो राय नहीं ये सर्वविधित है और सौ आनें सच्च भी।

थोड़ी कमियां है जो समयानुसार पैदा होती रही और दूर भी की जा सकती है और करनी भी चाहिए ताकि ये सराहीनय प्रयास अधूरे ना लगे।

काफी समय से मंडियों से लदानियों का आढ़थियों के पैसे खाकर भागना या यूं कहूं कि बागवानों के पैसे खाकर भागना तो गलत नहीं एक बड़ी समस्या बन गई है क्योंकि आढ़थी तो सिर्फ माध्यम है हमें हमारे उत्पाद को उपभोक्ता तक पहुंचाने का।

आढ़थीयों की बागवानों किसानों की रोजी रोटी में महत्वपूर्ण भूमिका है जो सब जानतें हैं क्योंकि उत्पादक का सीधा उपभोक्ता तक पहुंचा पाना लगभग असंभव है।

इसलिए बागवानों के साथ साथ मंडियों में दुकानें लिए आढ़थीयों के हितों और पेमेंट की सुरक्षा भी जरूरी है और की भी जानी चाहिए! सड़कों पर सेब बेच रहे सभी आढथीयों के लाइसेंस रह किए जानें चाहिए।

काफी समय से बागवानों किसानों को फल व सब्जियों की पेमेंट के लिए आढ़थीयों के साथ जुझना पड़ रहा है जो अब गम्भीर विषय बन चुका है और बागवानों किसानों को उनके उत्पाद के सही मूल्य ना मिलनें पर सवालिया निशान लगा रहा है।

लगता है कि मंडियों में एक तरफा नियम अस्थित्व में लाये जा रहें है। जिसका सीधा असर फलों औऱ सब्ज़ियों की कीमतों पर पड़ेगा और बागवान किसान फिर मरेगा।

APMC और सरकार को इस विषय पर गहनता से विचार करके फल सब्ज़ियों से सम्बंधित तीनों वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए पेमेंट की अदायगी से लेकर पेमेंट की सुरक्षा तक के नियमों को दूरदर्शिता से बनाना होगा।

इस प्रक्रिया के अंतिम और मुख्य कड़ी खरीददार है तो इस बात के मध्यनजर जरूरी है कि खरीदार से पेमेंट सुरक्षा भी जरूरी है और जो कोई खरीदार मंडियों से खरीदारी करके भाग जाते हैं।

ऐसे खरीददारों के लिए APMC और सरकार द्वारा ऐसे कानून की व्यवस्था की जानी चाहिए कि एक महीनें के अंदर ही उसे पुलिस और न्यायलय के माध्यम से गिरफ्तार करके लाया जाये और पेमेंट की ग्राही की जाये।

हर साल 3-4 लदानी भाग ही जातें हैं और इससे आढ़ती पेमेंट समय पर देनें में बेबस हो जाते हैं।

ख़रीददार से पेमेंट की सुरक्षा और समय सीमा निश्चित करनी होगी और आढ़थियों को भी सीजन खत्म होने के बाद लगभग 80% पेमेंट अदायगी के आदेश पारित करनें होंगे।

बाकी 20% राशि को लगभग फरवरी माह तक अदा करने के लिए नियम बनाकर बाध्य APMC और सरकार को वाध्य करना होगा ऐसा इसलिए क्योंकि ये कारोबार उधारी की सवारी पर चलता है और फलता फूलता है।

APMC सिर्फ इसलिए नही बनाई गई कि दुकानों का किराया और मंडी टेक्स बसूल करे बल्कि इसलिए बनाई गई है कि जो टैक्स हम बागवान APMC को देतें है उसके बदले हमारे उत्पाद की पेमेंट की सुरक्षा प्रदान करे।

ये सवाल हमारी आर्थिकी और रोजी रोटी से जुडा है और इसकी मुख्य कड़ी खरीददार और दूसरी कड़ी आढ़थी है।

आग्रह करना चाहूंगा हिमाचल प्रदेश सरकार और मार्किटिंग कमेटी से की व्यापार और कारोबार में कठोर और एक तरफा नियम ना बनायें इसका सीधा प्रभाव फल सब्जी उत्पादकों पर पड़ेगा।

कृपया ऐसे नियम बनायें जाएं जो तीनों वर्गों उत्पादक,आढ़थी और खरीदार तीनो में समन्वय बना रहे।

सबसे जरूरी है खरीददार की पकड़ और उन आढ़थियों पर जकड़ जी सड़को पर दुकान लगा रहे हैं। कठोर नियमो से अगर मंडी 4 दिन भी बंद हो जाये तो करोड़ो का नुकसान बागवानों और किसानों का होगा बाकी किसी का नही।

तीनो वर्गों की भलाई और सुनवाई को ध्यान में रखकर नियम कानून बनानें ही इस कारोबार और किसान बागवानों के परिवार के लिए लाभप्रद है।


सुशिल भीमटा


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