जंगे आजादी के साथ-साथ अश्फ़ाकुल्लाह खान हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक भी थे: MSO


BY- THE FIRE TEAM


मुस्लिम स्टूडेंट्स ओर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया यानि एमएसओ द्वारा जंगे आज़ादी के नायक अश्फ़ाकुल्लाह खान के जन्मदिवस के अवसर पर मड़ीयाव जानकी पुरम मे एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जानकी पुरीम के पार्षद चाँद सिद्दीकी ने की।

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में वकास वारसी , वली अहद खानकाहे वारिस देवी शरीफ और मौलाना मुहम्मद अबुल कलाम सईदी , वली अहद खानकाहे गुलजारिया किशनी अमेठी ने शिरकत की।

कार्यक्रम में वक्ताओ ने युवाओ से आह्वान किया कि अश्फ़ाकुल्लाह खान के जीवनी से सबक लेकर समाज मे आपसी भाईचारा – प्रेम और शांति को बढ़ाने मे अपना रोल अदा करे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्य वक्ता शाही जामा मस्जिद मड़ीयाव के इमाम मौलाना फैज़ान अज़ीज़ी ने कहा कि अश्फ़ाकुल्लाह खान भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी दे दी गयी।

उन्होने कहा कि 1857 के संग्राम मे भी और उसके बाद के सभी आंदोलनो मे मुस्लिम समाज और विशेष रूप से सूफी विचारधारा के लोगो ने अहम किरदार अदा किया, उन्होने कहा कि अश्फ़ाकुल्लाह खान भी एक सूफी विचारधारा “वारसी” पंथ से संबंध रखते थे और हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक मशहूर सूफी संत देवा शरीफ के वारिस पाक को अपना गुरु मानते थे इसीलिए अपने नाम के आगे “वारसी” लगाते थे।

अज़ीज़ी ने कहा कि अश्फ़ाकुल्लाह खान हिन्दू मुस्लिम एकता के बड़े हामी थे, उनके सबसे घनिष्ठ मित्रो मे राम प्रसाद बिस्मिल का शुमार होता है।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।

एमएसओ लखनऊ इकाई के संयोजक अबू अशरफ ने बताया कि एमएसओ भारतीय सूफी मुसलमानो की अखिल भारतीय संस्था है जो मुस्लिम युवाओ मे शिक्षा, रोजगार, उनको मुख्यधारा से जोड़ने तथा कट्टरता के खिलाफ सक्रिय है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम युवा सबसे पहले अच्छा इंसान बन कर दिखाए क्योंकि इल्म और अच्छाई से आप अब्दुल कलाम जैसी शख्सियत बन सकते हैं।

उन्होंने याद दिलाया की पैगम्बर मुहम्मद साहब ने हमसे कहा है की शिक्षा के लिए चीन तक जाना पड़े तो जाना चाहिए।

अशरफ ने कहा कि नवीन विज्ञान और आधुनिक शिक्षा के लिए यदि हमें एक वक़्त का खाना मिले और दूसरे वक़्त का खर्च बच्चे की पढाई पर करना पड़े तो हमें ऐसा ही करना चाहिए।

मुसलमानों के पिछड़ेपन के लिए उन्होंने आधुनिक शिक्षा के प्रति बेरुखी को बताया और युवाओं से अपील की कि वह समय नष्ट किये बिना ज्ञान अर्जन में जुट जाएँ।

अशरफ ने अपील की कि इस्लाम में आसानी रखी गयी है लेकिन भटकी हुई नयी विचारधारा लेकर कुछ लोग भारत में घुस आये हैं और वह अपनी कट्टरवादी विचारधारा को थोप कर देश को नुकसान पहुँचाने की फ़िराक में हैं।

उन्होने सूफीवाद को इस्लाम का सही स्वरुप बताते हुए युवाओं से अपील की कि वह सूफी विचारधारा को अपनाएँ।

कार्यक्रम का संचालन मौलाना मुहम्मद इमरान सफवी वली अहद खानकिया आलिया शमशादिया ने किया।मौलाना शब्बीर औरंगाबादी ने देशभक्ति पर नज़्म पेश किया।

वहीं कार्यक्रम में मौलाना रेहान आरफ़ी,मौलाना कौनेन,मौलाना अमानुल्ला साहब,शादाब वारसी मोहम्मद नौशाद,मोहम्मद इरफान, मोहम्मद अबुल वकार सिद्दीकी समेत काफी लोग शरीक रहे।


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