एक तरफ देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है जबकि वहीं कुछ ऐसी भी चुनौतियां मौजूद हैं जिन को देख कर के ऐसा लगता है कि यह आजादी नहीं बल्कि एक छलावा है.
इस संबंध में गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों के द्वारा बनाए गए असुर (ASUR) संगठन ने इस पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए बताया है कि-
“हमारी आजादी वास्तविक आजादी नहीं है क्योंकि अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान जिस स्वतंत्रता की कल्पना हमने किया था वह स्पष्ट तौर पर दिख नहीं रही है.”
इनका कहना है कि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार-आजादी एक-एक कर खत्म की जा रही है, विभिन्न सरकारी संस्थाओं का निजीकरण किया जा रहा है, जनता को छोड़ पूंजीपतियों को लाभ पहुचाया जा रहा है,
पूंजीपति दिन ब दिन अमीर और जनता दिन ब दिन गरीब हो गर्त में जा रही है, पुलिस वाले लोगो के साथ जानवरो जैसा सुलूक कर रहे है, भ्रष्टाचार चरम पर है.
किसी भी ऑफिस में बिना घुस दिए कोई काम नही होता ये कैसी आजादी है? फिर भी अगर आपको लगता है कि आप आजाद है तो आपको आजादी मुबारक हो.
हमारा मानना है कि देश की जनता भूखी है उस रोटी चाहिए, देश का युवा बेरोजगार है, उसे अपने योग्यता के अनुसार रोजगार चाहिए.
देश के तमाम एक्टिविस्ट, पत्रकार एवं बोलने वाले लोगों की आवाज दबाई जा रही है और उन्हें फर्जी मुकदमे में डाल दिया जा रहा है, उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहिए.
शिक्षा का बाजारीकरण रुकना चाहिए एवं मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए, सरकारी संस्थाओं को सुरक्षित किया जाना चाहिए ऐसे जनता हित में तमाम कार्य होने चाहिए तब कही आजादी के मायने समझ आएंगे.
अगर ऐसा नहीं होता तो मुझे लगता है आजादी के नाम पर हमसे छलावा किया जा रहा है.