ब्राह्मणों के नैतिक चरित्र के मायने….आधुनिक सन्दर्भों में
सन् 1941 के आसपास कोई भी न्यायाधीश ब्राह्मण नहीं था, 1947 में देश आजाद हुआ और बिना चुनाव जीते ही सारे राज्यों के मुख्यमंत्री ब्राह्मण बन गए, जितनी भी विश्वविद्यालय देश में थे, सबके वाइस चांसलर ब्राह्मण बन गए बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के ही. अब सन् 1941 के दौरान की बात है कि जब … Read more