खिरिया बाग: जमीन अधिग्रहण के विरुद्ध लगे नारे अडानी-अंबानी से यारी, मजदूर-किसानों से गद्दारी नहीं चलेगी

खिरिया की बाग (कप्तानगंज) आजमगढ़: ‘जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा’ के तत्वाधान में खिरिया बाग में 144 वें दिन धरना में हुआ किसान-मजदूर महापंचायत.

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेता डॉ. दर्शन पाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि एयरपोर्ट का विस्तार बहाना है-जमीन लूट निशाना है.

एयरपोर्ट विस्तारिकरण का मास्टर प्लान वापसी का लिखित शासनादेश सार्वजनिक करो, अडानी-अंबानी से यारी, मजदूर-किसानों से गद्दारी नहीं चलेगी, कौन बनाता हिंदुस्तान-भारत का मजदूर किसान,

जमीन हमारी आपकी-नहीं किसी के बाप की, यह जंग जीतेंगे अबकी बार-ये ऐलान हमारा है आदि नारें गूंजते धरने में किसान नेताओं और महिलाओं व सांस्कृतिक कर्मियों ने अपने सम्बोधन को गीतों व भाषण के माध्यम से प्रस्तुत किया.

महापंचायत को संबोधित करते हुए डॉ. पाल ने कहा कि सरकार को आजमगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण का लिखित शासनादेश जारी कर देना चाहिए.

‘जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा’ के खिरिया बाग आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार यदि देरी करती है तो संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश में इस जमीन, खेती लूट के खिलाफ आंदोलन तेज करेगा.

खिरिया बाग स्थानीय जन भागीदारी बढ़ाकर सामूहिक रुप से जिस प्रकार चलाया जा रहा है, वह सम्मान का पात्र है. वास्तव में देश में किसान सबका अन्नदाता हैं.

मजदूर सबसे बड़ा उत्पादक वर्ग है, किसान और मजदूर के बेटे फौजी बनकर देश के सीमा पर डटे हैं. यदि अन्नदाता-उत्पादनकर्ता किसान, मजदूरों के अस्तित्व पर हमले होंगे तो क्यों नहीं राजनीति करेंगे.?

राजनीति करना व समझना चंद पूंजीपतियों के मित्रों का काम नहीं, हर भारतवासी का भी कर्तव्य है. यह कोई अपवित्र चीज नहीं. आज आजमगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण की परियोजना को

लिखित शासनादेश क्यों नहीं दिया जा रहा, इसके घात-प्रतिघात को राजनीति की समझदारी से ही समझ पा रहे हैं. देश में किसान और मजदूर के बेटे भी पढ़ते लिखते हैं.

किसान मजदूर अब अनपढ़ नहीं रह गया है, वह देश में बुनियादी समस्या जैसे- रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा से भटकाने की राजनीति को भी समझता है.

वह यह भी समझता है कि जाति-धर्म के गड़े मुर्दे को उखाड़कर देश में कैसे गंदी राजनीति का जहर फैलाया जा रहा है और जनता को भटकाया जा रहा है.?

अपने संवैधानिक, लोकतांत्रिक मूल्यों से जब आज का किसान, मजदूर लैश होने लगता है तो कुछ तथाकथित राजनेताओं को इसमें राजनीति दिखाई देने लगती है.

खिरिया बाग की लड़ाई जाति, धर्म से ऊपर उठकर जनता के बीच सामूहिक भावना के साथ जमीन बचाने की भावना ही नहीं देश बचाने की भावना को बढ़ाया है.

खिरिया बाग की लड़ाई देश बचाने की लड़ाई बन चुकी है. आजमगढ़ एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का मास्टर प्लान वापस होने का लिखित शासनादेश मिलने से पहले यह रुकने वाला नहीं.

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