देश के जाने-माने इतिहासकार प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास के विद्वान जो लंबे समय से बीमार चल रहे थे का निधन होने की सूचना प्राप्त हुई है.
डीएन झा ने राम मंदिर विवाद को लेकर एक रिसर्च किया था जिसमें उन्होंने मस्जिद के नीचे मंदिर होने की बात को नकार दिया था.
आपको यहां बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय इतिहास के प्रोफेसर है, द्विजेंद्र नारायण झा इंडियन काउंसिल आफ हिस्टॉरिकल रिसर्च के भी सदस्य थे.
पहली बार इन्होंने जब गाय पर अपनी पुस्तक लिखी थी तो वह विवादों में आ गए थे. अपनी पुस्तक मिथ ऑफ हाली कॉउ में उन्होंने बताया था कि-” वैदिक और उत्तर वैदिक काल में हिंदुओं के द्वारा गौ मांस का भक्षण किया जाता था.”
जैसा कि हम जानते हैं कि हिंदू धर्म में गाय को आस्था के नजरिए से देखा जाता है, ऐसे में झा के इस वक्तव्य से आलो- चनाओं का वर्ग खड़ा हो गया.
एक अन्य व्यक्ति अरुण शौरी ने भी डीएन झा पर नालंदा विश्वविद्यालय के संबंध में की गई टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए उन को निशाने पर लिया था.
शौरी ने यह आरोप लगाया कि झा ने नालंदा के साथ घटित घटनाओं को तोड़ मरोड़ कर बताया है. यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ का मामला है.
हालांकि अपने बचाव में इन्होंने यह तथ्य रखा कि उनके वक्तव्य को गलत तरीके से विश्लेषण किया गया है.