बदायूं: अपनी शायरी के माध्यम से बड़ी-बड़ी बातों को भी लफ्जों में पिरो कर रख देने वाले उत्तर प्रदेश के बदायूं के रहने वाले लोकप्रिय शायर फहमी बदायूनी का रविवार को निधन होने की खबर प्राप्त हुई है.
उनकी शायरी को याद करके लोग लगातार श्रद्धांजलि दे रहे हैं. कांग्रेस के बड़े नेता तथा जाने-माने शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने ट्विटर पर याद करते हुए लिखा है कि-
“फहमी साहब का जाना उर्दू अदब का बड़ा नुकसान है. सोचा था जल्द ही किसी महफ़िल में आपको जी भर कर सुना जाएगा किंतु आज यह अफसोसनाक खबर आई है. खुदा आपको जन्नत नसीब करे…“
बताते चलें कि फहमी बदायूंनी का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं में चार जनवरी, 1952 को हुआ था. कहते हैं फहमी साहब गुदड़ी के लाल थे जिन्होंने कम उम्र में ही लोगों को गुदगुदाना शुरू कर दिया था.
उनके शब्दों में सरल अभिव्यक्ति दिखती है जो भावनाओं को सहजता से व्यक्त करके उर्दू साहित्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. निश्चित तौर पर यह साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति मानी जाएगी.
{दिल से साबित करो कि जिंदा हो, सांस लेना तो कोई सबूत नहीं है.}
{तुमने नाराज भी होना छोड़ दिया, इतनी नाराज भी भी ठीक नहीं है.}
{तेरे जैसा कोई मिल ही नहीं, कैसे मिलता कहीं पर था ही नहीं}
पूछ लेते बस मिजाज मेरा, कितना आसान था इलाज मेरा… इत्यादि अनेक शायरियों के माध्यम से फहमी बदायूंनी ने श्रोताओं के दिल में जगह बनाई है.