‘भारत महापरिवार पार्टी’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अंबरीश देव गुप्ता अयोध्या पहुंचे जहाँ उन्होंने मंच पर उपस्थित हिन्दू रत्न जगतगुरु परमहंस आचार्य जी राम मंदिर एवं सनातन संस्कृति के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए
भारत महापरिवार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंबरीष देव गुप्ता द्वारा भारत भूषण दिव्य महापुरुष रत्न के सम्मान से सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से गुरु वशिष्ठ जी श्रीराम जी का मार्गदर्शन करते थे,
उसी प्रकार यह पार्टी भी स्वामी जी और संतो का मार्गदर्शन लेती रहेगी और पार्टी संत परंपरा को पुनः स्थापित करेगी. उन्होंने अयोध्या को भारत की राजधानी बनाने का जो संकल्प लिया है उसके 3 मुख्य कारण बताये-
पहला, सृष्टि के आरंभ के बाद अगर सबसे पहले राजधानी का जिक्र आता है तो वह अयोध्या ही है जो पूरे पृथ्वी की पहली राजधानी रही और युगों-युगों से पूरे भारत वर्ष की राजधानी रही है, जिसके तमाम प्रमाण पुराणों में उपलब्ध है, इसलिए हमने अयोध्या को पुनः भारत की राजधानी बनाने का संकल्प लिया है.
दूसरा, कारण आज हम भारत को विश्व गुरु, सोने की चिड़िया और राम राज्य बनाने की बात करते है. अगर आप इन तमाम कथनो का अस्तित्व ढूढेंगे तो पाएंगे कि यह सभी कथन अयोध्या भूमि से जुड़े है. हमने तो इन कथनो के अस्तित्व को मूर्त रूप देने के लिए यह संकल्प लिया है.
तीसरा, जो सबसे बड़ा कारण भारत के संस्कार और संस्कृति को बचाना है और विश्व गुरु और राम राज्य की परिकल्पना में लाना है. आज जहाँ हम एक तरफ भारत को विश्व गुरु बनाने की बात कर रहे है,
वही दूसरी तरफ हमारी ही भाषा की मर्यादा का अंत होता जा रहा है. हम तमाम मानव आदर्शों की बात करते है और मानव मूल्यों का लोप हो रहा है.
दुनिया को वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देने वाला भारत आज धर्म और जाति के नाम पर बट चुका है, जब हम अपने घरों में एक नही हो पा रहे हैं, क्या हम इस तरह भारत को विष्वगुरू बना पाएंगे या राम राज्य ला पाएंगे? हमें विचार करना होगा?
इसलिए आज हमें आने वाली पीढ़ी के हृदय में प्रेम त्याग, सेवा और संस्कार को जगाना होगा, तभी हम देश और दुनिया को उत्तम उदाहरण दे सकेंगे.
आज संस्कारों की बात की जाये, तो आपके पास 2 उदाहरण मिलता है.1. इसी अयोध्या भूमि से जुड़ा है जहाँ एक पुत्र अपने पिता के दिए वचनो के लिए अपना सर्वस्व छोड़कर 14 वर्ष वन में व्यतीत करता है,
जहां एक पुरुष की मर्यादा, एक पत्नी के प्रेम, सेवा और त्याग के साथ भाई की मर्यादा सेवा, त्याग जैसा उदाहरण पूरी दुनिया में कही नहीं मिलता है.
आज हम सब को तय करना होगा कि हमें किन संस्कारों के साथ जीवन जीना है? चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई संस्कारों के साथ जीवन सभी जीना चाहते है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत की राजधानी दमनकारी, आक्रमणकारी, छल और दम्भ की आधारशिला पर बसा हुआ है. यह मुग़लों और अंग्रेजों की धरोहरों और इतिहासों से भरा पड़ा है,
जो हमारी संस्कृति, शिक्षा और विचारों को छिन भिन्न कर रहा है. क्या हम अपने आने वाली पीढ़ी को ऐसे इतिहास की गाथा बताने और दिखाने वाले है? जो केवल छल, षड्यंत्र, भाइयों से द्रोह और समाज को तोड़ने की शिक्षा देता है.
जहाँ त्याग और न्याय का कोई सीख न मिलता हो, जो विदेशियों की शिक्षा का प्रचार कर रहा हो, वह किस तरह के व्यक्तित्व का निर्माण करेगा? हमें विचार करना होगा. इसलिए हमने अयोध्या को भारत की राजधानी बनाने का संकल्प लिया है.