2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को लग सकता है झटका: केंद्रीय मंत्री ने दिए गठबंधन से अलग होने के संकेत

बिहार की सियासत में अहम किरदार निभाने वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मंडल की जन्मशती पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए भाजपा से अलग होने के संकेत दिए हैं।

जनसत्ता की खबर के अनुसार उपेंद्र कुशवाहा ने कहा; “यहां बहुत बड़ी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं।यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाए तो खीर बनने में देर नहीं…. लेकिन खीर बनाने के लिए केवल दूध और चावल ही नहीं छोटी जाति और दबे कुचले समाज का पंचमेवा भी चाहिए… तब खीर जैसा स्वादिष्ट व्यंजन बन सकता है। यही सामाजिक न्याय की परिभाषा है।”

उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि इस स्वादिष्ट व्यंजन को बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

यह कोई पहली बार नहीं है जब उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी पर हमला बोला है। इसके पहले भी कई बार केंद्रीय मंत्री के बोल बगावती हो चुके हैं।

दरसल बिहार की राजनीति में जातिवादी समीकरण बहुत अहम हो जाता है। आपको बताते चलें कि बिहार में पारंपरिक रुप से दूध का व्यवसाय करने वाले लोग लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के वोट बैंक माने जाते हैं।

जबकि बिहार में कुशवाहा समुदाय जो कि पारंपरिक रूप से खेती किसानी का काम करता है वह उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी यानी कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का वोट बैंक माना जाता है।

अब यदि कुशवाहा और यादव जाति का वोट बैंक मिला दिया जाए तो यह बिहार की राजनीति की दिशा को बदलने का दम रखता है। यही कारण है कि उपेंद्र कुशवाहा का झुकाव राष्ट्रीय जनता दल की ओर दिखता प्रतीत हो रहा है।

आपको बताते चलें कि बिहार में एनडीए के साथ मुख्य रूप से तीन और दल शामिल हैं। जिनमें नीतीश की जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) , रामविलास पासवान की लोजपा( लोक जनशक्ति पार्टी )और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा( राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) शामिल है।

अब यदि एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा संबंध तोड़ते हैं तो यह आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका देगी।

आपको बताते चलें कि उपेंद्र कुशवाहा बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बने रहने की काफी आलोचना कर चुके हैं। यहां तक की उन्होंने उनको पद छोड़ देने की नसीहत भी दी थी।

लालू और नीतीश का गठबंधन टूटने के पश्चात बिहार में एक अलग राजनीतिक समीकरण बनता नजर आ रहा है।

इस गठबंधन के टूटने के पश्चात लोगों का ऐसा मानना है कि नीतीश की पार्टी के पास वोट बैंक काफी सीमित हो चुका है। यही कारण है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लगातार भारतीय जनता पार्टी से बिहार में आने वाले लोकसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी से ज्यादा सीटों की मांग करते आ रहे हैं।

मीडिया खबरों के अनुसार कुशवाहा लालू की पार्टी से जुड़ सकते हैं। अब यदि ऐसा होता है तो इससे बिहार में एक नया समीकरण बनेगा जिससे आने वाले 2019 के चुनाव में बिहार की राजनीतिक दिशा बदल सकती है।

आपको बताते चलें कि उपेंद्र कुशवाहा ने 3 मार्च 2013 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नाम से एक नया दल बनाया था।

इस दल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) के साथ अपना गठबंधन किया था जो कि अब तक चला आ रहा है।

2014 के चुनाव में एनडीए के साथ मिलकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने तीन लोक सभा सीटें जीती थीं।

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!