मिली सूचना के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के अंतर्गत सभी राजनीतिक दलों ने ईमानदार और स्वच्छ छवि रखने वाले व्यक्तियों को टिकट न देकर दागियों, बागियों, बाहुबलियों तथा धन कुबेरों पर अपना दांव आजमाया है.
एक-एक करके इन राजनीतिक दलों का हाल देखते हैं. 1. जदयू- सुशासन का दावा करने वाले नीतीश कुमार भी इस मामले में पीछे नहीं है. नरसंहार सहित हत्या के कई मामलों के अभियुक्त अवधेश मंडल ने इसी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
अवधेश की पत्नी बीमा भारती नीतीश सरकार में मंत्री हैं उन पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं, फिर भी वह रुपौली से प्रत्याशी बनाई गई हैं. इसी तरह चेरिया बरियारपुर से एक अन्य उम्मीदवार मंजू वर्मा भी मैदान में हैं जिनके पति चंद्रशेखर वर्मा पर मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड का दाग है.
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— A4news.live (@F88878) October 8, 2020
गोपालगंज के बाहुबली सुनील पांडे के के छोटे भाई बाहुबली अमरेंद्र पांडे उर्फ पप्पू पांडे एक बार फिर जदयू के टिकट से मैदान में हैं. आपको बता दें कि कुचायकोट विधायक अमरेंद्र पांडे पर हत्या के कई मामले दर्ज हैं. इसके अतिरिक्त गोपालगंज में हुए तिहरे हत्याकांड में भी पर आरोप लगे हैं.
2. राजद का हाल- इस पार्टी ने भी जदयू की तरह दागियों से कोई परहेज नहीं किया है. पार्टी ने मोकामा से अनंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है जिन पर 3 दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. जब नीतीश कुमार ने अनंत सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया था तब लालू की पार्टी राजद ने अनंत को अपना उम्मीदवार बनाया था.
बिहार में अपराध का पर्याय है आनंद मोहन जिनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद ने भी राजद का हाथ थाम लिया है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि लवली आनंद राजद के टिकट पर सुपौल से मैदान में होंगे. दूसरी तरफ विभा देवी बाहुबली राजबल्लभ यादव की पत्नी है.
दुष्कर्म के मामले में सजा के बाद राजबल्लभ की विधायकी ही चली गई थी. अब राजबल्लभ की सीट से उनकी पत्नी विभा देवी राजद उम्मीदवार हैं.
3. निर्दलीय का हाल- अजय सिंह वैसे तो जदयू नेता हैं और इनका आपराधिक रिकॉर्ड बहुत लंबा-चौड़ा है. उनकी पत्नी कविता देवी जदयू से सांसद हैं. इस समय खुद अजय सिंह सिवान के दरौली से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं.
लोजपा नेता और आरा के पूर्व विधायक सुनील पांडे ने लोक जनशक्ति पार्टी छोड़ दिया है. इस बार वह निर्दलीय मैदान में हैं और उनके भाई हुलास पांडे लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर ब्रह्मपुर चुनावी मैदान में उतरे हैं.
4.बागियों का हाल- इस बार सबसे अधिक नाराजगी भाजपा के खेमे में देखी गई है क्योंकि अधिकतर लोगों का टिकट इस पार्टी ने काट दिया है. इससे कई बड़े-बड़े नेताओं ने नाराज होकर बगावत कर दिया है.
इन सभी बागीयों को लोक जनशक्ति पार्टी ने सहारा दिया है. राजेंद्र सिंह संघ प्रचारक होकर भी भाजपा में अपना टिकट नहीं ले सके हैं. इन्हें लोजपा ने दिनारा से अपना उम्मीदवार बनाया है. इसी प्रकार वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी ने भी भाजपा का साथ छोड़ दिया है.
वह पालीगंज से लोजपा के टिकट पर उम्मीदवार हैं भाजपा छोड़कर लोजपा ज्वाइन करने वाले रामेश्वर चौरसिया को भी सासाराम से टिकट मिल गया है. धनकुबेरों का हाल राजद के मोकामा प्रत्याशी आनंद सिंह
के पास इस समय 28 करोड ₹11988 की संपत्ति है जबकि जदयू के कौशल यादव 22 करोड़ 65 लाख 11,000 की संपत्ति के साथ चुनावी दावेदारी कर रहे हैं.