किसी भी महिला के लिए ‘बलात्कार’ सिर्फ शब्द नहीं है बल्कि उसकी संवेदना है जो उसे सदैव जब-जब स्मृतियों में आती है, उसे भीतर से झकझोर कर रख देती है.
ताजा मामला गुजरात के बिलकिस बानो का है जो वर्ष 2002 में घटित गोधरा कांड के बाद दूषित मानसिकता से ग्रसित लोगों का शिकार हो गई थी.
इन लोगों ने न केवल उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया बल्कि उनके परिवार के 7 सदस्यों की भी हत्या कर दिया था.
लंबे समय तक चले इस केस में कोर्ट ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. किंतु 15 वर्षों की सजा पूरी करने के बाद सभी दोषियों को सरकार ने अपनी ‘क्षमा नीति’ के तहत रिहाई दे दी है.
पूरे मामले में बिलकिस ने अपने बयान में कहा कि- “मैं केवल यही कह सकती हूं कि किसी भी महिला के लिए ‘न्याय’ इस तरह से कैसे समाप्त हो सकता है.?
मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालत के ऊपर भरोसा था, सिस्टम पर विश्वास था और धीरे-धीरे मैं अपने साथ हुए इस हादसे के साथ जीना सीख रही थी.
किंतु इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है. न्याय से मेरा विश्वास पूरी तरह खत्म कर दिया है.”
क्या था मामला बिलकिस बानो का?
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था जिसमें बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी.
इसके बाद दंगा भड़क गया जिससे बचने के लिए बिलकिस अपने बच्चे और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई.
किंतु जहां इसका परिवार छुपा था वहां 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया.
पहले इन लोगों ने बिलकिस के साथ बलात्कार किया उसके बाद के परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी.
बिलकिस के दोषियों को रिहा करने से पहले एक कमेटी बनाई गई जिसके अध्यक्ष गोधरा के कलेक्टर सुजल मायात्रा थे.
इसमें पंचमहाल से बीजेपी के पूर्व विधायक गोधरा के विधायक सीके राहुल, सुमन चौहान तथा पंचम हाल के सांसद जसवंत सिंह राठौड़ सहित अन्य लोगों को शामिल किया गया था.