बोफोर्स घोटाला काँग्रेस शासन काल की एक अनसुलझी पहेली , जानिए कैसे

BYTHE FIRE TEAM 

राजनीतिक तौर पर संवेदनशील बोफोर्स कांड का घटनाक्रम निम्नलिखित हैं:-

24 मार्च 1986 – भारतीय थलसेना के लिए 155 मिमी के होवित्जर तोपों की 400 इकाइयों की आपूर्ति के लिए भारत ने स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपए का करार किया।

16 अप्रैल 1987 – स्वीडिश रेडियो ने दावा किया कि कंपनी ने शीर्ष भारतीय नेताओं और रक्षा कर्मियों को रिश्वत दी थी।

22 जनवरी 1990 – सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आरोप में एबी बोफोर्स के तत्कालीन अध्यक्ष मार्टिन आर्डबो, बिचौलिये विन चड्डा और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

22 अक्टूबर 1999 – चड्डा, बिचौलिये ओत्तावियो क्वात्रोक्की, तत्कालीन रक्षा सचिव एस के भटनागर, आर्डबो और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ इस मामले में पहला आरोप-पत्र दायर।

9 अक्टूबर 2000 – हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ पूरक आरोप-पत्र दायर।

4 फरवरी 2004 – न्यायमूर्ति जे डी कपूर ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज सभी आरोप रद्द किए। उन्होंने आईपीसी के तहत दर्ज रिश्वतखोरी का आरोप भी निरस्त किया। दिवंगत नेता राजीव गांधी और दिवंगत एस के भटनागर को पूरी तरह आरोप-मुक्त किया गया। हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ आईपीसी के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं में आरोप तय करने के आदेश दिए।

31 मई 2005 – दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत हिंदुजा बंधुओं एवं अन्य के खिलाफ सभी आरोप रद्द किए।

18 अक्टूबर 2005 – उच्चतम न्यायालय ने वकील अजय अग्रवाल की वह याचिका स्वीकार की। यह याचिका तब दायर की गई जब सीबीआई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील के लिए 90 दिन की समयसीमा के भीतर शीर्ष अदालत में अपील दायर करने में नाकाम रही।

4 मार्च 2011 – विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में क्वात्रोक्की को आरोप-मुक्त किया। अदालत ने कहा कि देश अब उसके प्रत्यर्पण पर अपनी गाढ़ी कमाई नहीं खर्च कर सकता, क्योंकि पहले ही इस पर 250 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

2 दिसंबर 2016 – दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के 11 साल बाद सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि अधिकारियों ने फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने की इजाजत नहीं दी थी।

6 अगस्त 2017 – उच्चतम न्यायालय में दायर अर्जी पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया।

1 सितंबर 2017 – उच्चतम न्यायालय भाजपा नेता अग्रवाल की उस अर्जी पर सुनवाई पर सहमत हुआ जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर से शुरू हो रहे सप्ताह का समय तय किया।

31 जनवरी 2018 – अग्रवाल ने अर्जी दाखिल कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा को मामले की सुनवाई से अलग करने की मांग की।

2 फरवरी 2018 – दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश के खिलाफ सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की। उच्च न्यायालय ने इस मामले के आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप रद्द किए।

3 फरवरी 2018 – सीबीआई ने दिल्ली की अदालत में अर्जी देकर बोफोर्स कांड की और जांच कराने का अनुरोध किया। एजेंसी ने कहा कि उसे नए साक्ष्य मिले हैं।

2 नवंबर 2018 – उच्चतम न्यायालय ने बोफोर्स कांड में सीबीआई की अपील खारिज की। न्यायालय ने कहा कि अपील दायर करने में हुई देरी के लिए बताए गए आधार ठोस नहीं।

 

(भाषा से इनपुट के साथ )

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