एसआईटी जांच: देशभर में बम बनाने की ट्रेनिंग देता था हिंदूवादी संगठन और साध्वी प्रज्ञा के तार किस तरह जुड़े गौरी लंकेश हत्याकांड से


BY- THE FIRE TEAM


पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की जांच कर रही कर्नाटक की विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मालेगाँव बम धमाके से जुड़ी विशेष खबर का खंडन किया है। एसआईटी का दावा है कि हिंदूवादी संगठन खुफिया ठिकानों पर बम बनाने का प्रशिक्षण देता है।

इस मामले में एसआईटी ने कट्टर हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत का नाम बताया और कहा कि ये संगठन देश भर में अपने खुफिया ठिकानों पर कर बम बनाने की ट्रेनिंग देते हैं।

एसआईटी ने यह भी बताया कि कट्टर हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत के चार सदस्यों ने साल 2011-16 के बीच अपने खुफिया ठिकानों पर संदिग्धों को बम बनाया सिखाया था।

2006-08 के बीच हुए मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस, मालेगाँव ब्लास्ट और अजमेर दरगाह पर हुए बम धमाकों में पुलिस को इन चारों की तलाश है।

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जो 2008 में हुए मालेगाँव बम ब्लास्ट की आरोपी हैं, मध्य प्रदेश के भोपाल से बीजेपी की टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ रहीं हैं।

साध्वी प्रज्ञा समेत मालेगाँव बम ब्लास्ट में 13 अन्य आरोपी हैं जिसमें अभिनव भारत के रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे भी शामिल हैं। सभी 13 लोगों को घोषित अपराधी भी ठहराया जा चुका है।

पुलिस द्वारा कोर्ट में जमा किये दस्तावेजों के अनुसार पत्रकार गौरी की हत्या के मामले से जुड़े जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनका संबंध सनातन संस्थान से है।

इस मामले में गिरफ्तार लोगों ने माना कि वे ट्रेनिंग कैम्प में शामिल हुए थे और बम बनाने की ट्रेनिंग ली थी। ट्रेनिंग दिए जाने वाले कैम्प में एक बाबाजी और चार गुरुजी मौजूद थे।

बाबाजी की पहचान सुरेश नायर के रूप में 11 साल बाद नवंबर 2018 में उनकी गिरफ्तारी के बाद हुई। सुुुेरश अभिनव भारत के सदस्य हैं और अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट में आरोपित भी हैं। वे गुजरात मे छुपे हुए थे।

सूत्रों के मुताबिक, नायर की गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आई की सनातन संस्थान से तीन और बम विशेषज्ञ डांगे, कलसांगरा और अश्विनी चौहान जुड़े हैं।

पत्रकार लंकेश की हत्या से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद एक पांचवा नाम प्रताप हाजरा सामने आया जो कि बंगाल में स्थित हिंदूवादी संगठन भवानी सेना से जुड़ा है।

एसआईटी की जांच में जो भी तथ्य सामने आए हैं, तकनीकी विश्लेषण के बाद उन दस्तावेजों को अदालत में सौंपा गया है।


 

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