राम तो बहाना है, संविधान और गणतंत्र पर निशाना है!! आलेख: बादल सरोज

अयोध्या में अभी तक अधबने मंदिर को लेकर देश भर में चलाई जा रही मुहिम की श्रृंखला में मध्य प्रदेश की सरकार ने बची-खुची संवैधानिक मर्यादा को भी लांघ दिया है. मध्य प्रदेश सरकार के धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव के हस्ताक्षरों से 12 जनवरी को समस्त कलेक्टरों के लिए एक … Read more

प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान या राजनीतिक-चुनावी ईवेंट? आलेख: राजेंद्र शर्मा

अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर के उद्घाटन को, जिसे तकनीकी रूप में प्राण प्रतिष्ठा आयोजन कहा जा रहा है, एक खुल्लम-खुल्ला राजनीतिक और उसमें भी चुनावी ईवेंट बना दिया गया है. यह सब इतनी अशोभन नंगई से हो रहा है कि चार-चार पीठों के शंकराचार्यों ने खुलकर इसके खिलाफ आवाज … Read more

अयोध्या तो बहाना है, देश की लंका लगाना है! आलेख: बादल सरोज

अयोध्या में और उसे लेकर पूरे देश में-उनका दावा है कि दुनिया भर के भारतवासियों के बीच भी-जो किया जा रहा है, उसके रूप और सार दोनों को समझने की शुरुआत शुरू से ही करने से समझने में आसानी होगी. इसलिए नवनिर्मित राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के नाम पर, उसके बहाने जो कुछ हो रहा … Read more

मुझे भगत सिंह का ‘समाजवाद’, गांधी ‘स्वराज’ अंबेडकर का ‘संविधान’ चाहिए”: पूर्वांचल गांधी

अयोध्या और राम की आड़ में ह्यूमैनिटी, डेमोक्रेसी, यूनिटी, संविधान न तोड़ जाए. 200 वर्षों की ब्रिटिश गुलामी एवं असंख्य की फांसी के बाद हमें लोकतंत्र, ‘संविधान’ हासिल हुआ है अयोध्या: एक तरफ जहां देश नव वर्ष 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर उत्साह में डूबा हुआ है, वहीं ‘पूर्वांचल के गांधी’ कहे … Read more

क्या हुआ तेरा दबदबा! व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा

थैंक यू मोदी जी, आपने देश को एक बड़ी मुसीबत से, बल्कि राष्ट्र विरोधी षडयंत्र से बचा लिया. एक और अवार्ड वापसी गैंग के हमले से बचा लिया. अब बोलें एक और अवार्ड वापसी का षडयंत्र रचाने वाले, साक्षी मलिक के कुश्ती त्याग के बाद, चलो बजरंग पूनिया की पद्मश्री अवार्ड की वापसी हो गयी. … Read more

संसद खाली करो कि तानाशाही आती है!! आलेख: बादल सरोज (part-1)

भारत की संसद के दोनों सदनों-लोकसभा और राज्य सभा से सांसदों के धड़ाधड़ निलंबन का सिलसिला जारी है. इन पंक्तियों के लिखे जाने तक विपक्ष के कितने सांसद निलंबित किये जा चुके हैं, इसे लिखने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि जब तक यह पंक्तियाँ आपके पढ़ने में आयेंगी, तब तक पूरी आशंका है कि … Read more

हुइहै वही जो मोदी रचि राखा-व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा

इसी को कहते हैं, भागते भूत की लंगोटी खींचने की कोशिश. मोदी जी के विरोधियों को चुनाव में कामयाबी नहीं मिली, तो अब मोदी जी पर सरकार बनाने में बेजा देर लगाने के इल्जाम लगा रहे हैं. फैसले लेने वाली पार्टी के फैसलों को ठंड ने जकड़ लिया या लकवा मार गया. चुनाव में पब्लिक … Read more

महुआ मोइत्रा मेरी राजनीतिक विरोधी हैं, लेकिन एक महिला होने के नाते मैं उसके साथ खड़ी हूं: बृंदा करात

यह महुआ मोइत्रा के लिए जय-जयकार है. हम दोनों-महुआ और मैं अलग-अलग पार्टियों से हैं सिर्फ इतना ही नहीं; महुआ मोइत्रा जिस पार्टी से हैं, मैं उसकी बिल्कुल विरोधी हूं. मैं इसके कारण गिना सकती हूं, लेकिन वह यहां प्रासंगिक नहीं है. ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर हमें अपने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद बोलना चाहिए. … Read more

कहाँ महापुरुष, कहाँ युगपुरुष! व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा (Part 2)

मोदी जी का तो खैर कहना ही क्या? चालू सदी में तो मोदी जी ही मोदी जी छाए हुए हैं। गांधी जी का हिसाब-किताब पिछली सदी में निपट लिया. इस सदी में मोदी जी के आस-पास भी कोई नहीं है, न गांधी जी और न कोई और. चालू सदी के युगपुरुष तो सिर्फ और सिर्फ … Read more

कहाँ महापुरुष, कहाँ युगपुरुष! व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा (Part 1)

भई, जगदीप धनखड़ साहब की बात में हमें तो बहुत दम लगता है. गांधी जी पिछली सदी के महापुरुष थे और मोदी जी, इस सदी के युगपुरुष! गांधी जी भी अपने जमाने के महापुरुष थे, इससे उन्होंने कब इंकार किया है? आखिरकार, उपराष्ट्रपति हैं; प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति से सिर्फ एक सीढ़ी नीचे. जब बाकी दुनिया … Read more

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