राहुल जी का मंदिर दर्शन और मोदी जी का मस्जिद प्रेम कुछ कह रहा है?

BY– SALMAN ALI 2019 के चुनाव में भले ही थोड़ा समय हो लेकिन उसकी आहट ने पार्टियों से लेकर नेताओं को जगा तो दिया ही है। भले ही 2014 के बाद हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार ना मिला हो लेकिन आने वाले चुनाव को देखकर ऐसा लग रहा है कि नेताओं को तो … Read more

रवीश कुमार का लेख: री-ट्वीट संसाधन मंत्री तो नहीं हैं अपने मानव संसाधन मंत्री

  BY– RAVISH KUMAR @PrakashJavdekar ने 2 सितंबर को न तो ट्वीट किया और न ही री-ट्वीट किया। मैं 1 सितंबर से लेकर आज तक मानव संसाधन मंत्री के ट्वीट और री-ट्वीट का अध्ययन कर रहा था। इस अध्ययन से पता चलता है कि मानव संसाधन मंत्री प्रधानमंत्री के दोनों ट्विटर हैंडर से किए ट्वीट को … Read more

अरबों रुपये लुटाकर जो संसद पहुंचा, वह तो देश लूटेगा ही और सत्ता-संसद ही उसे बचाएगी

  By- पुण्य प्रसून बाजपेयी एक मार्च 2016 को विजय माल्या संसद के सेन्ट्रल हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलते हैं। दो मार्च को रात ग्यारह बजे दर्जन भर बक्सों के साथ जेट एयरवेज की फ्लाइट से लंदन रवाना हो जाते हैं। फ्लाइट के अधिकारी माल्या को विशेष यात्री के तौर पर सारी … Read more

रवीश कुमार का लेख: जनता के जनता होने की संभावना बची है या समाप्त हो चुकी है?

By- रवीश कुमार जब आँखों पर धर्मांन्धता और धार्मिक गौरव की परतें चढ़ जाती हैं तब चढ़ाने वाले को पता होता है कि अब लोगों को कुछ नहीं दिखेगा। इसीलिए अमित शाह कहते हैं कि बीजेपी पचास साल राज करेगी। कहते हैं कि हम अख़लाक़ के बाद भी जीते। क्या वे किसी की हत्या के … Read more

क्या होता है भारत में हिंदी मीडियम होने का दर्द?

BY– सिंधुवासिनी त्रिपाठी ‘गिरते-गिरते उसने मुझे थाम लिया अंग्रेज़ी में…’ रंगून फ़िल्म का यह गाना सुनकर मेरे जिज्ञासु मस्तिष्क में सवाल आया, अंग्रेज़ी में क्या अलग तरीके से थामा जाता है? सवाल का जवाब भी अपने ही दिमाग़ ने दिया, ‘थामना ही क्यों, अंग्रेज़ी में हंसना, छींकना, खांसना. सब अलग ही होता है. सब ‘सोफ़िस्टिकेटेड’, … Read more

हिंदी दिवस :- अबला नारी की तरह बेबस हिंदी

BY–वैभव चौधरी हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है| 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय  लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी | इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा … Read more

रवीश कुमार का लेख: प्रधानमंत्री जी, बैंकों के लाखों करोड़ न चुकाने वाली कंपनियां कौन हैं,मालिक कौन हैं?

BY– RAVISH KUMAR क्या प्रधानमंत्री उन कंपनियों के नाम ले सकते हैं जिन्होंने भारत की जनता के जमा पैसे से सस्ती दरों पर लोन लिया और उस लोन का दस लाख करोड़ बैंकों को वापस नहीं किया? क्या वित्त मंत्री उन कंपनियों के नाम ले सकते हैं? क्या अमित शाह नाम ले सकते हैं? क्या … Read more

नक्सलवाद बनाम राष्ट्रवाद बनाम पूंजीवाद

BY– NAVNATH MISHRA हाल ही में प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश के नाम पर पुणे पुलिस ने नक्सलियों से संबंध के शक में कुछ लोगों को(सुधा भरद्वाज, गौतम नौलखा आदि) को गिरफ्तार किया। आन्तरिक सुरक्षा की दृष्टि से एक यह सराहनीय कदम है किंतु यहाँ प्रश्न है कि एक ऐसे बौद्धिक लोग नक्सलवाद की तरफ … Read more

अबकी बार….सरकार नहीं आजादी की दरकार !

  BY–PUNYA PRASUN BAJPAI 2014 के नारे 2019 से पहले ही दामन से लिपट जायेंगे ये ना तो नरेन्द्र मोदी ने सोचा होगा। ना ही 2014 में पहली बार खुलकर राजनीतिक तौर पर सक्रिय हुये संघचालक मोहनभागवत ने सोचा होगा। ना ही भ्रष्टाचार और घोटालो के आरोपों को झेलते हुये सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस ने … Read more

रवीश कुमार का लेख: दस साल में यूपीए से ज़्यादा चार साल में एनडीए ने उत्पाद शुल्क चूस लिया।

  BY– RAVISH KUMAR तेल की बढ़ी क़ीमतों पर तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का तर्क है कि यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये तेल बॉन्ड के ज़रिए जुटाए थे जिस पर ब्याज की देनदारी 70,000 करोड़ बनती है। मोदी सरकार ने इसे भरा है। 90 रुपये तेल के दाम हो जाने पर यह सफ़ाई है … Read more

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