सामाजिक कार्यकर्ता ‘चिपको आंदोलन’ के प्रणेता को ‘कोरोना’ ने बनाया अपना शिकार, अब नहीं रहे हमारे बीच

(सईद आलम खान की कलम से) क्या है जंगल के ऊपर, मिट्टी, पानी और बयार, यही हैं जिंदा रहने के आधार कहते हैं प्रकृति ने मनुष्य को वह सब कुछ दिया है जिसका वह हकदार है. झील, झरने, वनस्पतियां, जंगल, जमीन आदि ये सारे भौतिक संसाधन सभी जीवो के लिए प्रकृति ने बनाया है, किंतु … Read more

जजों की नियुक्ति के लिए बनाया गया ‘कोलेजियम सिस्टम’ आज कितना प्रासंगिक है?

(सईद आलम खान ब्यूरो चीफ, गोरखपुर की कलम से) कोलेजियम सिस्टम सर्वोच्च न्यायालय में स्थापित एक समिति है जिसमें मुख्य न्यायाधीश सहित पांच वरिष्ठ जज होते हैं. इस समिति के द्वारा ही उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति होती है. यह व्यवस्था वर्ष 1993 में आयी, इसके पहले जजों की नियुक्ति भारतीय … Read more

फ़क़ीर के खेल से बदलती बंजारे की किस्मत….पढ़ें और जानें

किसी मज़ार पर एक फकीर रहते थे जहाँ सैकड़ों भक्त उस मज़ार पर आकर दान-दक्षिणा चढ़ाते थे. उन भक्तों में एक बंजारा भी था, वह बहुत गरीब था, फिर भी नियमानुसार आकर माथा टेकता, फकीर की सेवा करता और फिर अपने काम पर जाता. उसका कपड़े का व्यवसाय था, कपड़ों की भारी पोटली कंधों पर … Read more

फ्रांसीसी पत्रिका चार्ली आब्दो का हिंदुत्व पर कटाक्ष कहा, भारत में 33 करोड़ देवी-देवता होने के बावजूद ऑक्सीजन की कमी

मिली सूचना के मुताबिक फ्रांस की जानी-मानी साप्ताहिक पत्रिका चार्ली आब्दो भारत के ऊपर कोरोना संकट के समय तीखा कटाक्ष किया है. एक कार्टून के जरिए पत्रिका में लिखा गया है कि- “भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं मगर उनमें से एक भी ऑक्सीजन उत्पादन कर पाने में सक्षम नहीं है.” पत्रिका के लेखक … Read more

‘चिकित्सा विज्ञान के अम्बेडकर’ कहे जाने वाले प्रोफेसर राजकुमार के साथ हो रहा है भेदभाव

भारत में करीब 542 मेडिकल कॉलेज हैं जिसमें 64 पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट हैं इसी में पीजीआई लखनऊ के प्रख्यात न्यूरो सर्जन, साउथ एशिया के सबसे क्वालिफाइड न्यूरोसर्जन, ट्रामा सेंटर SGPGI लखनऊ के संस्थापक, AIIMS ऋषिकेश, उत्तराखंड के फाउंडिंग डायरेक्टर, करीब 54 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त, डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेकनोलॉजी, … Read more

लाशों के ढेर पर बन रहा ‘सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट’ क्या नागरिकों की जान से अधिक जरूरी है? सईद आलम खान

(Bureau Chief, Gorakhpur-Dr. Saeed Alam Khan) आज देश में स्वास्थ्य से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर इस कदर कमजोर है कि लोग इस कोरोना महामारी के इलाज में ना तो टीकाकरण करवा पा रहे हैं, उनके पास अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर मौजूद हैं और ना ही पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति है. किन्तु हमारे प्रधानमंत्री को … Read more

‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ क्या है? आइये जानते हैं इसका महत्व

दुनिया भर में आज के दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ के रूप में मनाये जाने की रीति है, जिसकी शुरुआत 1 मई, 1886 को हुई थी. आज के दिन ही अमेरिका में मजदूर संगठनों ने 8 घंटे से अधिक काम न करने के लिए हड़ताल किया था. इसके लिए लगभग 11000 फैक्ट्रियों में काम करने वाले … Read more

सरकार सभी स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करके बीमारी में मुनाफाखोरी बंद करे: सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की मांग है कि जन स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के ऊपर मंडराते खतरे से निबटने के लिए, मोदी सरकार, बिना विलम्ब सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करे. हमारी यह भी मांग है कि 2018 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और न्यायाधीश अजीत कुमार के आदेश का तुरंत अनुपालन … Read more

डॉक्टर अम्बेडकर और क्रान्तिकारी भगत सिंह में वैचारिक समन्वय की एक झलक

(संदर्भ-भगतसिंह की जेल डायरी-मैं नास्तिक क्यों) एक बार भगत सिंह रेलगाड़ी से कहीं जा रहे हैं थे उसी समय यह गाड़ी एक स्टेशन पर रुकी. चुंकि गाड़ी को बहुत देर तक रुकना था तो भगतसिंह पानी पीने के लिए उतरे. वह पास ही एक कुँए के पास गये और पानी पिया तभी उनकी नजर कुछ … Read more

भारत में मानवाधिकार का दायरा हुआ सीमित, चुनिंदा लोगों के लिए ही है यह अधिकार: एमनेस्टी इंटरनेशनल

(सईद आलम खान ब्यूरो चीफ, गोरखपुर) भारत में मानव अधिकारों को लेकर वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट तैयार करने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बहुत ही चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चुनिंदा लोगों के लिए ही है तथा सरकार की नीतियों के विरोध में उनकी आवाजों को दबाने … Read more

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