BY- THE FIRE TEAM
उन्नाव रेप केस के मामले में सीबीआई ने बताया कि बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर पर बलात्कार पीड़िता द्वारा लगाया गया बालात्कार का आरोप सही है।
सीबीआई ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में कहा कि विधायक कुलदीप सेंगर और शशि सिंह ने मिलकर साजिश बनाई और 4 जून 2017 को पीड़िता के साथ बलात्कार किया।
सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि पीड़िता के साथ 8 बजे बलात्कार किया गया और तब पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। बलात्कार की बात पीड़िता ने सबसे पहले अपनी चाची को बताई थी।
पीड़िता द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को पत्र भी लिखा गया लेकिन 12 जनवरी 2018 तक कोई कार्यवाई नही हुई। इसके बाद पीड़िता की माँ 12 जनवरी 2018 को उन्नाव कोर्ट गयी।
पीड़िता के पिता 3 अप्रैल 2018 को दिल्ली से उन्नाव कोर्ट सुनवाई के लिए आये। लेकिन पुलिस ने को जांच रिपोर्ट लगाई उसमें कहा गया कि पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं और उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ।
इसके तुरंत बाद ही पुलिस ने पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया और जेल में बुरी तरह पिटाई की जिसकी वजह से 9 अप्रैल को उनकी मौत हो गयी।
सीबीआई ने बताया जब पीड़िता के पिता की मौत हो गयी उसके बाद 12 अप्रैल 2018 को पुलिस ने केस दर्ज किया जिसके बाद मामला सीबीआई के पास आया।
सीबीआई ने कहा कि इस मामले में उन्होंने कोर्ट में चार्जशीट फ़ाइल की और जांच में पाया कि 4 जून को बलात्कार वाली बात सही है और पीड़िता के द्वारा लगाए आरोप बिल्कुल सच हैं।
सीबीआई ने धारा 120B, 363, 336, 376, 506, 2 और 3 पोक्सो एक्ट की तहत चार्जशीट पेश की। आरोप को सच साबित करने के लिए काफी सबूत हैं, बलात्कार के मामले में कोई चश्मदीद नहीं चाहिए। पीड़िता और उसकी माँ ने भी सीआरपीसी 161 और 164 में पूरा बयान दिया है।
सीबीआई ने बताया कि बलात्कार के बाद पीड़िता को बुरी तरह डराया गया था। सीबीआई कोर्ट लखनऊ में 16 अप्रैल 2018 को पीड़िता का बयान दर्ज हुआ था जिसमें उसने कहा कि नौकरी के बहाने उसकी भाभी शशि सिंह पीछे के दरवाजे से उसे विधायक के घर ले गयी थी।
सीबीआई को इस मामले में कोई चश्मदीद नहीं मिला लेकिन जितने भी सबूत हाथ लगे हैं वे साबित करते हैं कि आरोपी विधायक ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया था।
आरोपी विधायक सेंगर के वकील ने डिस्चार्ज एप्लीकेशन लगते हुए कहा कि यह केस गलत आरोप के आधार पर किया गया है और दस्तावेजों के आधार पर यह केस डिस्चार्ज का बनता है।
वकील ने कहा कि सीबीआई सीबीआई जिन दस्तावेजों के आधार पर बहस कर रही है, उन के आधार पर केस नहीं बनता।
पुलिस द्वारा 28 जून 2017 को केस दर्ज किया गया था जिसमें मामला लड़की भागकर ले जाने का था और इस मामले में पीड़िता ने बयान दिया था कि आरोपी लड़के की मम्मी ने उसे बुलाया जिसके बाद कानपुर के दो लड़कों ने उसके साथ बलात्कार किया और फिर 60 हजार में बेच दिया।
साथ ही वकील ने यह दलील दी कि पीड़िता या उसकी माँ ने केस एक साल बाद क्यों दर्ज करवाया, विधायक द्वारा रेप की बात पहले क्यों हैं बताई।
सीबीआई के पास कोई भी फॉरेंसिक या मेडिकल सबूत नहीं हैं लेकिन जितने भी सबूत हैं वे यह सच साबित करने के लिए काफी हैं कि आरोपी विधायक ने ही पीड़िता के साथ बलात्कार किया था।
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