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प्राप्त सूचना के मुताबिक़ हाल ही में चुनाव कानून (संशोधन) बिल 2021 के अंतर्गत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में चुनाव सुधार लाने के उद्देश्य से कुछ संशोधन जनक प्रस्ताव रखे गए हैं.

इसमें कुल 4 तरह के बदलाव की बात कही गई है जिसमें सबसे प्रमुख है- व्यक्ति के आधार कार्ड को उसके मतदान कार्ड से जोड़ना.

प्रथम बदलाव के अंतर्गत अब मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करने के लिए कोई भी व्यक्ति निर्वाचक पंजीयन अधिकारी के पास आवेदन करने के लिए जाता है

तो वह निर्वाचन अधिकारी द्वारा व्यक्ति से उसकी पहचान करने के लिए उसके आधार की मांग की जा सकती है.

अगर नाम पहले से ही मतदाता सूची में है तो भी अधिकारी आधार नंबर मांग सकता है ताकि व्यक्त की दर्ज की गई सूचना को सत्यापित किया जा सके.

हालांकि यदि कोई व्यक्ति आधार नहीं देता है तब भी उसका नाम मतदाता सूची से हटाया नहीं जाएगा क्योंकि वह व्यक्ति केन्द्र सरकार

की तरफ से जारी किए गए किसी अन्य दस्तावेज जैसे पासपोर्ट आदि को दिखा करके भी अपना काम चला सकता है.

दूसरा संशोधन मतदान केंद्रों के परिसर को लेकर है. अब इस परिसर का इस्तेमाल मत डालने, मतदान मशीनों और मतदान संबंधित सामग्री को रखने तथा सुरक्षा बल और कर्मियों के आवास के रूप में किया जा सकेगा.

यदि तीसरे संशोधन की बात करें तो मतदाता सूची में नामांकन के लिए योग्यता तारीख को लेकर किया गया परिवर्तन है.

अगर कोई शख्स किसी वर्ष के 1 जनवरी के बाद 18 वर्ष की आयु पूरी कर रहा होता है तो उसे मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवाने के लिए अगले साल की 1 जनवरी का इंतजार करना पड़ता था.

किंतु अब साल में 4 अलग-अलग तारीख मतदाता सूची में नाम सम्मिलित कराने के लिए तय की गई है 1 जनवरी (जो कि पहले से ही निर्धारित है) 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को भी लोग अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करा सकते हैं.

चौथा बदलाव जेंडर न्यूट्रल को ले करके किया गया है. इसमें ‘वाइफ’ यानी पत्नी की जगह अब ‘स्पाउस’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा.

हालांकि इन सभी संशोधनों में जो सबसे प्रमुख और हंगामे की वजह बना है वह वोटर आईडी से आधार कार्ड को लिंक करने का है.

दरअसल विपक्षी राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार इसके प्रति विरोध का रुख अपनाए हुए हैं.

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