Chhatisgarh: हिंदू खतरे में नहीं होता तो क्या हादसे के शिकार परिवारों को मदद देने में इतनी कंजूसी होती? हिंदू खतरे में नहीं होता तो क्या सब कुछ होने के बाद भी कार्रवाई में इतनी ढील होती?
सूरज पाल उर्फ भोले बाबा उर्फ साक्षात हरि में और FIR में इतनी दूरी होती? हिंदू खतरे में नहीं होता, तो हाथरस में पीड़ित परिवारों को धीरज बंधाने के लिए, सिर्फ विपक्ष के नेता राहुल गांधी की आमद होती!
मगर इससे कोई यह नहीं समझे कि हिंदू सिर्फ हाथरस और उसके आस-पास के इलाके में ही खतरे में हैं. और तो और, बारिश से भी सारे देश में सबसे ज्यादा हिंदू ही खतरे में हैं.
बाढ़ और उससे हुई तबाही में मरने वालों और जैसे-तैसे कर के बचने वालों में, सबसे ज्यादा क्या हिंदू ही नहीं हैं? असम हो, उत्तराखंड हो, हिमाचल हो, यूपी हो, मध्य प्रदेश हो, और तो और, राजस्थान तक में बाढ़ में सबसे ज्यादा शामत किस की आयी है.
बिहार में जो पंद्रह दिन में एक दर्जन पुल ढहे हैं, उनकी ज्यादा मार किस के हिस्से में आयी है? हिंदू ही असली खतरे में हैं! जाहिर है कि खतरा सिर्फ जान या माल का ही नहीं होता है.
खतरा चोरी का भी कम नहीं होता है; मेहनत की चोरी का भी और सपनों की चोरी का भी. नीट में क्या हुआ? फिर नेट में भी, पीजी वगैरह में भी. जिन लाखों बच्चों की मेहनत से लेकर सपनों तक की चोरी हो गयी,
बल्कि डाका पड़ गया, वो कौन थे? जाहिर है कि उनमें भी ज्यादा हिंदू ही थे. हिंदू खतरे में हैं, तभी तो सरकार यह कह रही है कि जो चोरी हुई भी है, इतनी बड़ी चोरी भी नहीं है कि ज्यादा कुछ करना जरूरी हो.
पानी के भरे ताल में से यहां-वहां, किसी ने बाल्टी, किसी ने केन, किसी ने बोतल से कुछ पानी निकाल भी लिया तो क्या? ताल का पानी खराब हो गया थोड़े ही मान लेंगे.
करेंगे, आइंदा चोरी रोकने के भी इंतजाम करेंगे, पानी की सुरक्षा बढ़ाएंगे और पुलिस वगैरह लगाएंगे. सब करेंगे, बस ताल को खाली कर के दोबारा भरने को हमसे कोई न कहे.
वर्ना सब गड़बड़ हो जाएगा, हर बार चोरी होगी और हर बार, दोबारा भरना शुरू करना पड़ जाएगा. हम बार-बार कब तक इम्तहान कराएंगे?
साफ है कि सबसे ज्यादा हिंदू बच्चों की मेहनत, हिंदू बच्चों के सपने खतरे में हैं, तभी तो सरकार कह रही है कि जो हुआ सो हुआ, हम अब इम्तहान दोबारा नहीं कराएंगे!
भूख में, महंगाई में, बेरोजगारी, हारी-बीमारी में, गरीबी से भी, सबसे ज्यादा हिंदू ही खतरे में हैं. बेचारे मोदी जी भी क्या करें. हिंदू हैं ही इतने ज्यादा कि खतरा कोई भी हो,
कैसा भी हो, सबसे पहले, सबसे ज्यादा हिंदू ही खतरे में आ जाते हैं. और तो और, इसी चक्कर में बेचारे मोदी जी का चार सौ पार का सपना तक खतरे में आ गया, बल्कि टूट ही गया.
बेकारी, महंगाई वगैरह के और संविधान, जनतंत्र वगैरह पर खतरे से हिंदू ऐसे डरे, ऐसे डरे कि फिर मोदी जी मटन, मुगल, मंगलसूत्र, मुजरा वगैरह का खतरा दिखाते ही रह गए, पर हिंदू उनके मन-मुताबिक नहीं डरे, तो नहीं ही डरे.
उल्टे मोदी जी को ही डरा दिया, बनारस में भी और बाकी देश भर में भी. वह तो नीतीश-नायडू की बैसाखियां काम आ गयीं, वर्ना गंगा मैया का दत्तक पुत्र–जाहिर है कि हिंदू– इस बार तो खतरे में पड़ ही गया था.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और ‘लोकलहर’ के संपादक हैं)