बांग्लादेश के जाने-माने अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने कोरोनावायरस के कारण देश और दुनिया में व्याप्त आर्थिक कमजो -रियों को देखकर कहा है कि-
“कोविड-19 ने समाज तथा अर्थव्यवस्था की कमियों को सबके समक्ष लाकर खड़ा कर दिया है विशेषकर अनियो- जित और असंगठित क्षेत्र के लोगों के सामने इस समय बुनियादी जरूरतों को पूरी करने से लेकर अपने अस्तित्व को बनाए रखने तक के लिए जुड़े पहलुओं के संदर्भ में देखा जा सकता है.”
आपको यहां बताते चलें कि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना करने तथा लघु व लघु वित्त पोषण के सिद्धांत को दिया था जिसके लिए इन्हें वर्ष 2006 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
भारत को अपने लेक्चर का आधार बनाते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद जिस तरीके से लोग बेरोज गार होकर प्रवासी मजदूर के रूप में अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े वह बहुत ही दर्दनाक रहा
क्योंकि इस पलायन में भूखे, प्यासे कई लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी. इससे समाज और अर्थव्यवस्था की कमियां साफ तौर पर खुलकर सामने आती हैं
क्योंकि इन मजदूरों के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे गाड़ियों के किराए तो छोड़िए भोजन और पानी खरीदने तक की कूवत से मेहरूम थे.