आखिर क्यों इस कोरोना महामारी में भी सरकार को खोलना पड़ा शराब की दुकानें?

BY-SAEED ALAM KHAN

कहते हैं जान है तो जहान है यानि भौतिक वस्तुओं का उपभोग हम तभी कर सकते हैं जब इनके उपभोग के लिए पर्याप्त रूप से हम सक्षम हों. आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी के संक्रमण से खुद को बचाने के लिए

स्वयं को लॉक डाउन कर रखा है और जीवन जीने के लिए महज बुनियादी चीजों जैसे-शाक सब्जी, फल, दूध, दवाइयाँ और घरेलू राशन आदि को खरीदने की केवल छूट मिली हुई है. ऐसे में आखिर वह कौन सी ठोस वजह उस सरकार के पास थी कि उसने कोरोना के बचाव के लिए अपनाये गए नियमों की धज्जियाँ उड़वा दिया.

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क्या सरकार के पास पर्याप्त आंकड़ों का अभाव था या उसके प्रशासनिक अधिकारीयों में अनुमान लगाने की क्षमता की कमी, क्या वे इस बात से भली-भाँति परिचित नहीं थे कि संक्रमण की इस बीमारी में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने, सेनेटाइजर पहनने के बाद ही लोगों को यह छूट मिले कि वे शराब की दुकानों पर जाकर इसकी ख़रीददारी करें.

विगत लॉक डाउन 3.0 की घोषणा के साथ ही लोगों में जो आक्रोश और सरकार की वयवस्था के प्रति रोष उपजा वह किसी से छिपा नहीं है. कामगारों, दैनिक मजदूरों और ऐसी ही कई अन्य चीजें जो असंगठित क्षेत्रों के माध्यम से चलाकर लोगों का एक बड़ा हुजूम अपनी आजीविका चला रहा था वह सबसे अधिक इस फैसले का शिकार हुआ.

अगर उनमें भुखमरी नहीं आई होती अथवा वे पर्याप्त रूप से अपनी जीवनचर्या चलने में सक्षम होते तो शायद ये हजारों किलोमीटर की यात्रा अपने बच्चों, बूढ़ों और अपने हमउम्र के साथ पैदल ही नहीं निकल पड़ते. ऐसी भी सूचनाएँ सोशल मीडिया के जरिये प्राप्त हुई कि कई लोग भूख से तड़प कर मर गए.

हाँ, सरकार ने कुछ अपनी जिम्मेदारी समझी और लोगों को राशन उपलब्ध कराया, केंद्र सरकार की तरफ से 500 रूपये की मदद दी गई किन्तु ये हल ऊँट के मुँह में जीरा सिद्ध हुआ.

शराब की दुकानें खुलने की वजह ?

  1. इंडियन रेटिंग एंड रिसर्च के सर्वेक्षण अनुसार अल्कोहल के माध्यम से सरकार को राजस्व के रूप में बड़ी आय प्राप्त होती है भारत में ही कई ऐसे राज्य हैं जिनकी आमदनी का बड़ा श्रोत लगभग 700 करोड़ शराब की बिक्री पर टिका है, उनको लगातार हानि उठानी पड़ रही थी.
  2. पंजाब, राजस्थान, गुजरात में 20 प्रतिशत राजस्व की वसूली का जरिया यह शराब ही है जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र की बात करें तो उनको 15 प्रतिशत तक का राजस्व मिलता है.
  3. लॉक डाउन की वजह से इन राज्यों भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था. इस पैसे से सरकार अनेक तरह की योजनाएं चलाती है ऐसे में आय न होने से इन योजनाओं के किर्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हो रही थी.

इन आर्थिक हानियों के बाद भी हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि मानवीय जान की कीमत से अधिक कुछ नहीं होता है. हमारा देश चिकित्सा सुविधाओं के मामले में दुनिया में 102वें स्थान पर है, अगर यहाँ संक्रमण फैला तो कोई नहीं बचेगा.

 

 

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