‘विस्थापन विरोधी जंग’ के योद्धा, शोषितों की आवाज त्रिदिब घोष का हुआ निधन

मिली जानकारी के मुताबिक झारखंड के शोषित, पीड़ित जनता की आवाज उठाने तथा आदिवासियों पर हो रहे राजकीय दमन के खिलाफ सशक्त ढंग से खड़े रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता

तथा जनमानस के कुशल चितेरे त्रिदिब घोष का 82 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया. ऐसा बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से कोरोनावायरस से संक्रमित थे और अपना इलाज मां रामप्यारी अस्पताल, रांची में करा रहे थे.

आपको बता दें कि जब 2007 में पूरे देश के स्तर पर ‘विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन’ नामक फ्रंट का गठन हुआ था तो घोष इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक थे.

इनके संगठन विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन को केंद्र और झारखंड सरकार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  (माओवादी) का मुखौटा कह कर इसको दमन करने का भी प्रयास किया हालांकि सरकार अपने इस षड्यंत्र में सफल नहीं हो सकी.

त्रिदिब घोष आजीवन शोषित, पीड़ित, दमित तथा फासीवादी ताकतों के विरुद्ध सदैव आवाज उठाने का कार्य करते रहे. उन्होंने एक शोषण विहीन समाज की स्थापना के लिए सदैव संघर्ष किया.

आज जब केंद्र और कुछ राज्यों में फासीवादी शासन की समर्थन कर रही सरकारें जो नीतियां बना रही हैं उनके खिलाफ नौजवान से लेकर किसान तक सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने के लिए विवश है.

भाकपा-माले झारखंड राज्य कमेटी ने घोष को श्रद्धांजलि अर्पित किया है तथा इस के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि- कामरेड त्रिदीप घोष की मृत्यु लोकतांत्रिक आंदोलन की अपूरणीय क्षति है.

उन्होंने जीवन पर्यंत मानव अधिकार के लिए संघर्ष किया, उनकी मृत्यु पर भाकपा माले शोकाकुल है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे तथा दुख की इस घड़ी में परिवार को धैर्य बनाए रखने की हिम्मत दे.

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