BY- THE FIRE TEAM
“आजादी के 72 साल बाद भी देश में जातिवाद कायम है।”
14 मई को पहली बार एक दलित युवक की शादी की बारात निकाले जाने के बाद सवर्ण समाज के सदस्यों ने उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील के कुंडी खेड़ा गाँव के पूरे दलित समाज का बहिष्कार कर दिया।
अगले दिन 15 मई को, नाराज सवर्ण समाज के सदस्यों ने गाँव के रामकृष्ण मंदिर में ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई। बैठक में फैसला लेने के बाद दलितों के बहिष्कार का आदेश जारी किया गया।
बहिष्कार के कारण गाँव में रहने वाले दलितों को कठिनाई हो रही थी। उन्हें लगभग 4 किलोमीटर की दूरी से पानी लाना पड़ता है।
गाँव के लोगों ने बताया कि गाँव में एक आटा चक्की होने के बावजूद, उन्हें चक्की से अपने गेहूँ का आंटा प्राप्त करने की अनुमति नहीं है। इसके कारण उन्हें गेहूं का आटा लेने के लिए 20 किलोमीटर तक जाना पड़ता है।
दलितों की मदद करने वालों से 1000 रुपये की वसूली
मामला महिदपुर तहसील के उज्जैन जिले के कुंडीखेडा गाँव का है। आरक्षित जातियों के लिए काम करने वाले कुछ संगठनों ने प्रशासन से संपर्क किया है और आरोप लगाया है कि कुंडीखेडा गाँव की उच्च जातियों ने दलितों से हुक्का पीना बंद कर दिया है।
शिकायत में उल्लेख किया गया है कि 14 मई को गाँव के एक दलित युवक ने अपनी शादी की बारात निकाली। इससे नाराज सवर्ण लोगों ने अगले दिन गांव के रामकृष्ण मंदिर में एक बैठक बुलाई।
बैठक के बाद आदेश जारी किया गया कि आज से दलित समाज के लोगों का हुक्का पानी बंद है। और साथ ही यह भी आदेश जारी किया गया कि जिस भी व्यक्ति ने दलित समाज के लोगों की मदद की उससे 1000 रुपये वसूले जाएंगे।
दलित दुल्हन के मामा दुलेसिंह सूर्यवंशी ने अखिल भारतीय बलई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार से संपर्क किया और उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताया। महासंघ के अधिकारियों ने गांव में पीड़ितों के साथ चर्चा की।
महासंघ ने प्रशासन को जल्द ही दलितों की स्थिति सामान्य नहीं करने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
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