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एक तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 45.03 लाख करोड़ रुपए का भारी-भरकम बजट पेश करके सप्तऋषि-युवा शक्ति, हरित विकास,

वित्तीय क्षेत्र क्षमताओं का विस्तार, बुनियादी ढांचा और निवेश अंतिम छोर अंतिम व्यक्ति तक पहुंच, समावेशी विकास के तहत देश को दिशा देने की घोषणा की है

तो विपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मोदी सरकार ने सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखकर यह बजट बनाया है. रोजगार और महंगाई पर चुप्पी साध लिया गया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार का यह अमृत काल बजट नहीं बल्कि मित्र काल बजट है.

“इसमें नौकरियां पैदा करने के लिए कोई विजन नहीं, महंगाई से निपटने के लिए कोई योजना नहीं तथा असमानता को दूर करने का कोई इरादा भी नहीं दिखता है.”

जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करके बजट पर सवाल उठाया है. मोदी सरकार का बजट जनता का भाजपा पर लगातार गिरते विश्वास का सबूत है.

यह बजट केवल चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है, देश को नहीं. इस बजट में भयंकर बेरोजगारी का हल ढूंढने की कोई कोशिश नहीं है.

हर घर महंगाई है, बजट में इससे निपटने के लिए कुछ नहीं है. रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे आटा, दाल, दूध, रसोई गैस आदि की

कीमत में कमी आये इसके लिए कुछ नहीं किया गया है. मोदी सरकार ने इन बुनियादी वस्तुओं का दाम बढ़ाकर देश को लूटा है.

वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने इस बजट को निर्मम बताया है. उन्होंने कहा कि बजट में रेलवे के लिए ₹23.5 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है.

क्या यह कर्मचारियों के लिए है अथवा नई भर्ती के लिए.? कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे एयरपोर्ट को बेचने के पहले सैकड़ों,

हजारों करोड़ नवीनीकरण के लिए लगा दिया गया, क्या इसी तरह रेलवे को भी निजी हाथों बेचने की तैयारी है.?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो तंज कसते हुए कहा कि यदि उन्हें आधा घंटा दिया जाए तो इससे अच्छा बजट बनाकर दिखा सकती हैं.

जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब गणतंत्र दिवस से गायब था अब बजट से भी गायब है.

विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि यह आम आदमी का बजट है. विपक्षी दल के नेता इसलिए ना खुश हैं क्योंकि वह भाजपा के विपक्ष में बैठे हैं.

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