गणतंत्र के साथ संविधान, समाज और सभ्यता भी खतरे में: प्रशांत भूषण


BY- THE FIRE TEAM


लखनऊ में हुई एक बैठक में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता और स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत भूषण ने कहा कि आज के समय मे जिस तरह का राजनीतिक माहौल देश मे बनाया जा रहा है उसकी वजह से ना सिर्फ हमारा गणतंत्र और संविधान बल्कि समाज और सभ्यता भी बड़े खतरे में है। और इन सबको बचाने के लिए लोकतंत्र और भारतीयता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को एक मंच पे आने की आवश्यकता है।

लखनऊ में शनिवार को प्रशांत भूषण एक बड़ी बैठक को सम्बोधित कर रहे थे जो स्वराज अभियान द्वारा आयोजित की गई थी। बैठक के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में उन्हीने गणतंत्र की पुनर्बहाली शीर्षक से एक सस्तावेज जारी किया। उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर आगामी चुनाव में देश के नागरिकों के एजेन्डे के तौर पर यह दस्तावेज़ तैयार किया है। उनका कहना था कि इस दस्तावेज को सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा, तथा उनसे अपेक्षा की जाएगी कि आने वाले चुनाव में वे इस दस्तावेज में दिए गए सुझावों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल करें।

उन्होंने बताया कि उनके संयोजन तथा जस्टिस एपी शाह की अध्यक्षता में बनी एक टीम ने इस दस्तावेज़ को तैयार किया है। इनमें अरुणा रॉय, बेजवाड़ा विल्सन, अंजलि भारद्वाज, योगेंद्र यादव, दीपक नय्यर, ईएएस शर्मा, गोपाल गुरु, गोपाल गांधी, हर्ष मंदर, जयति घोष, कविता कुरुगुंटी, कृष्ण कुमार, निखिल डे, पॉल दिवाकर, प्रभात पटनायक, पी साईनाथ, रवि चोपड़ा, एसपी शुक्ला, श्रीनाथ रेड्डी, सुजाता राव, शक्ति सेल्वराज, सैयदा हमीद, विपुल मुद्गल, वजाहत हबीबुल्लाह आदि जाने- माने सामाजिक कार्यकर्ता तथा विशेषज्ञ शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि इस दस्तावेज के कुल 11 खंडों में सरकारों की जवाबदेही तथा जनता की अधिक हिस्सेदारी, न्यायिक तथा चुनाव सुधार, लोकतंत्र विरोधी काले कानूनों की समाप्ति, मीडिया सुधार, रोजगार, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वंचित वर्गों की अधिकतम सहभागिता तथा सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े जरूरी मुद्दे शामिल किए गए हैं।

लखनऊ के गंगाप्रसाद मेमोरियल हॉल में हुई एक सभा में उन्होंने कहा की आज के समय मे देश का माहौल बेहद ही खतरनाक हो गया है। मौजूदा सरकार सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। धीरे-धीरे देश को पूरी तरह चुनिंदा पूंजीपतियों के हवाले कर दिया गया है। अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, मजदूर, किसान, युवा तथा सभी वंचित वर्गों के लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

आगे उन्होंने कहा कि देश का मीडिया भी आज बुनियादी मुद्दों की बात ना करके नफ़रत और उन्माद फैलाने में लगा है। सरकारों की गलत नीतियों से आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती ही जा रही है। देश के 9 सबसे अमीर लोगों के पास जितनी संपत्ति है, वह देश की 60 फ़ीसदी सबसे ग़रीब आबादी लोगों की कुल सम्पत्ति के बराबर है।

सभा की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईपीएस एसआर दारापुरी ने की और सभा का संचालन किसान मजदूर मंच के प्रमुख अजित यादव ने किया। इसके साथ ही सभा को इलाहाबाद विश्विद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लालबहादुर सिंह, स्वराज अभियान की प्रदेश अध्यक्ष अर्चना, स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव ध्यानी, यूपी वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर, उत्तर प्रदेश जन मंच के नितिन मिश्रा आदि ने संबोधित किया।

बैठक में एक राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें पुलवामा में हुए हमले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई। गौरतलब है कि पुलवामा में हुए हमले में हमारे सीआरपीएफ के 45 जवान शहीद हो गौए थे जिसकी वजह से देश के सभी लोग शोक में डूब गए थे। ओर इस हमले की वजह से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी बढ़ गया जिसकी नतीजा ये हुआ कि दोनों देश युद्ध के मुहाने पे आ खड़े हुए।

लोगों के लिए यह भी अभी तक पहेली बना हुआ है कि जवानों को वायुमार्ग से न ले जाकर इतने बड़े काफिले (2500 सैनिक) के साथ बेहद संवेदनशील सड़क मार्ग से क्यों ले जाया जा रहा था, जब पहले से ही इंटेलिजेंस ने खबर दे दी थी कि हमला हो सकता है।

इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पुलवामा हमले की पूरी सच्चाई उजागर हो, ताकि उसकी रोशनी में भविष्य में ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके, जवानों तथा आम नागरिकों के जान-माल की हिफाज़त हो सके तथा इसकी परिणति में पैदा होनेवाले तनाव और युद्ध के माहौल से बचा जा सके।

यह कन्वेंशन इस प्रस्ताव के माध्यम से मांग करता है कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पे हुए हमले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो जिससे पूरे देश के सामने हमले की सच्चाई उजागर हो सके।

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