प्राप्त सूचना के अनुसार देश के कई महत्वपूर्ण पदों पर केंद्र और राज्य सरकारों में सेवा दे चुके वरिष्ठ सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है.
इसमें इनका कहना है कि विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश के कारण राज्य में घृणास्पद, विभाजनकारी तत्वों और कट्टरता को बढ़ावा मिला है.
'The open letter with 104 signatories, including former NSA Shivshankar Menon, former foreign secretary Nirupama Rao & former adviser to the PM TKA Nair, said, “UP, once the cradle of the Ganga-Jamuna civilisation, hs become the epicentre of politics of hate, division & 1/2 https://t.co/tTDrUSrqmV
— Pawan Kumar (@PawanK19) December 30, 2020
पत्र लिखने वालों में देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मीणा, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार पीके नायक तथा रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी जेएफ रीबेरो एवं प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार आदि शामिल हैं.
इन सेवानिवृत्त अधिकारियों ने पत्र के द्वारा यह मांग रखी है कि विवादास्पद धर्मांतरण अध्यादेश को वापस लिया जाए क्योंकि यह संवैधानिक भावनाओं के अनुकूल नहीं है.
उत्तर प्रदेश कभी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता था लेकिन अब वह कट्टरता का केंद्र बन गया है तथा शासन की सभी संस्थाएं सांप्रदायिकता के जहर से ओतप्रोत हो चुकी हैं.
ध्यान देने वाला पहलू यह है कि इस पत्र के माध्यम से कई ऐसी घटनाओं का जिक्र किया गया है जिसमें कुछ धर्म विशेष के लोगों पर कार्यवाही की गई है.
ललित कला अकादमी के पूर्व चेयरमैन और जाने-माने साहित्यकार अशोक बाजपेई ने भी इस पत्र में शामिल होते हुए कहा है कि-” सिर्फ यही एक मामला नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था लगातार रही है.
इस अध्यादेश के कारण महीने भर में कितने लोग गिरफ्तार जिस तरीके से गिरफ्तार हुए हैं लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है.”
“former National Security Adviser Shivshankar Menon, former Foreign Secretary Nirupama Rao and former Adviser to the Prime Minister TKA Nair” https://t.co/scsYwI98tK
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) December 30, 2020
अशोक बाजपेई आगे कहते हैं कि यह पत्र भले ही मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा गया है किंतु इसमें देश के नागरिकों, सत्ताधारियों और सिविल सेवकों इन तीनों लोगों को संवैधानिक नियमों और कर्तव्यों को याद दिलाने की कोशिश की गई है.
Amid ongoing controversy over interfaith marriages, 104 retired bureaucrats wrote a letter to Yogi Adityanath, Chief Minister of the Uttar Pradesh against state’s Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance. https://t.co/9r2ByRqiDW
— The Siasat Daily (@TheSiasatDaily) December 30, 2020
सिविल सेवाओं के लोगों की सरकार की ऐसी कार्रवाइयों में जो मिलीभगत दिख रही है उससे यही लगता है कि वे अपने संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व को भूल गए हैं, तथा निष्पक्षता में कोताही बरत रहे हैं.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि जीवन साथी का चयन करना किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है जिसकी गारंटी संविधान के तहत मिली हुई है.
जबरन धर्म परिवर्तन कर आना गलत है किंतु अगर रजामंदी से ऐसा हो रहा है तो इसमें किसी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए.
इन आरोपों के बावजूद शलभ मणि त्रिपाठी जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार हैं उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका कहना है कि-
देश में चिट्ठी लिखने वालों का एक गैंग है जो आए दिन कुछ सिलेक्टेड मामलों में पत्र लिखता रहता है यह चिट्ठी संसद पर हुए हमले में शहीद वीरों के दरवाजों पर आ गई हो,
किंतु इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकी और गद्दारों को फांसी से बचाने के लिए चिट्ठी लिखकर आधी रात को अदालतों के दरवाजे पर जरूर पहुंच जाते हैं.
चिट्ठी गैंग को चिट्ठी लिखने दीजिए, उनका काम ही है सलेक्टिव मुद्दों पर चिट्ठी लिखना, वे चिट्ठी लिखते रहें, योगीजी अपने अंदाज़ में काम करते हुए उनका कच्चा चिट्ठा खोलते रहेंगे !! https://t.co/A07pJbE2lC
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) December 30, 2020
चिट्ठी लिखते रहिए, योगी जी अपने अंदाज में काम करते रहेंगे. अब तक धर्म परिवर्तन अध्यादेश के आधार पर 14 केस दर्ज किए जा चुके हैं जिसमें 51 लोग गिरफ्तार हुए हैं तथा 49 जेल के अंदर हैं.
समझने का विषय यह है कि अधिकतर मामलों में शिकायत करने वाले परिवार के लोग हैं अथवा फिर दूसरे लोग. पीड़ित महिलाओं की ओर से सिर्फ दो मामलों में शिकायत दर्ज कराई गई है.