योगी सरकार द्वारा डॉ कफील खान के खिलाफ दाखिल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

न्यायाधीश एसए बोबडे, एस बोपन्ना और वी सुब्रमण्यम के तीन सदस्यीय खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जनपद में रहने वाले डॉक्टर कफील के विरुद्ध योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा दाखिल की गई याचिका को रद्द कर दिया है.

दरअसल इस याचिका में डॉ कफील पर लगाए गए एनएसए की धारा को हटाने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी.

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम(NSA) के तहत डॉ कफील खान के हिरासत खत्म करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से साफ तौर पर इंकार करते हुए पीठ ने कहा कि इसमें कोई ऐसा बिंदु नहीं है जिस पर बहस की जाए.

आपको यहां बताते चलें कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति उपलब्ध ना होने के कारण अनेक नवजात शिशुओं की असामयिक मौत हो गई थी

जिसमें डॉ कफील खान को विशेष तौर पर नामजद किया गया था, किंतु जांच के बाद उन्हें बरी कर दिया गया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने

कफील खान की ओर से उनकी मां नुजहत परवीन की तरफ से रिट याचिका दायर करते हुए खान के हिरासत को रद्द करने की अनुमति मांगी थी.

इस संबंध में खंडपीठ ने आदेश दिया कि एनएसए के अंतर्गत कफील खान को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि बढ़ाना गैर कानूनी है.

इसी आदेश के धरातल पर 2 सितंबर को कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय पहुंच गई, जिसमें आज सुप्रीम न्यायालय ने भी याचिका को खारिज कर दिया है.

आपको यहां बता दें कि सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भड़काऊ बयान देने के इल्जाम में कफील खान को उत्तर प्रदेश सरकार ने एनएसए के तहत जेल भेजा था.

किंतु उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी देते हुए यूपी के सरकारी अमले के कामकाज पर सवाल उठाए और कफील खान को राहत देकर एक सकारात्मक निर्णय दिया.

अपनी रिहाई के बाद कफील खान ने दावा किया था कि उत्तर प्रदेश की विशेष पुलिस एसटीएफ ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद ना केवल शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया,

बल्कि उनसे अजीबोगरीब सवाल भी पूछे यह बहुत ही हैरान करने वाला विषय था.

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