BY- THE FIRE TEAM
डा० राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में गाँधी दर्शन को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठि के दूसरे दिन देश के विभिन्न हिस्सों से आये तमाम वक्तागणों ने अपने भाषण के माध्यम से गाँधी जी के विचारों को प्रेषित करने का प्रयास किया।
संगोष्ठि का विषय था महात्मा गाँधी जी के विचारों की 21वीं सदी में प्रासंगिकता।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रो० ए. पी. तिवारी जी ने गाँधी जी के सर्वोदय सम्बन्धी विचार पर प्रकाश डालते हुये वर्तमान में तेजी से दौडते विकास पर कटाक्ष किया।
प्रो० प्रीति चौधरी जी ने गाँधी जी के जन आन्दोलन को जन जन तक पहुँचाने के साथ मजबूत स्वराज, स्त्री विमर्श, संरचनात्मक हिंसा, न्यायप्रिय व्यवस्था आदि पर प्रकाश डालते हुये गाँधी जी के जीवन यात्रा को ही उनका संदेश बताया।
प्रो० बजेन्द्र पाण्डेय जी ने गाँधी जी के चिंतन का वैश्विक स्वरूप प्रस्तुत करते हुये आधुनिक सभ्यता को विनाश की ओर उन्मुख बताया।
संगोष्ठि में आये वरिष्ठ पत्रकार प्रमिल जी ने मनशः, वाचा, कर्मणा को गाँधी दर्शन के रूप में देखते हुये गाँधी जी के विचारों को आज 100 साल बाद भी जीवन के हर अंग के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा आज बढते आंतकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद, जातिवाद, जलवायु परिवर्तन से मुक्ति के लिए हमें अपने अन्तःकरण को शुद्ध करना होगा जिसका मार्गदर्शन गाँधी जी के त्याग, तपस्या और चिंतन से आयेगा।
श्रीमान मणिन्द्र तिवारी जी ने गाँधी जी के रामराज्य की परिकल्पना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा गाँधी का रामराज्य वह राम राज्य होगा जिसमें धर्म, प्रेम, मानवता हो। जो विश्व कल्याण के सपने को सकार कर सके।
कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो० आभा अवस्थी ने गाँधी जी के दूसरों के प्रति दुख से दुखी होने की बात को स्वीकारते हुये उन्हें सन्त कहने पर जोर दिया। इस दौरान प्रो० ए. के. शर्मा ने कहा हमें गाँधी जी को दिल में उतारने की जरूरत है।
समापन सत्र में कुलपति एस. के. भटनागर, प्रो० ए. के. वर्मा , प्रो० संजय सिंह, प्रो० ए. सी. मिश्रा ने भी अपने विचारों से वर्तमान में गाँधी जी की प्रांसगिकता पर बल दिया।