कोरोना महामारी के दौर में भी चन्द अरबपतियों की दौलत में भारी उछाल

इस साल कोरोना महामारी के बाद भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में लम्बे समय तक आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया जिसकी वजह से दुनिया भर में उत्पादन की मशीनरी ठप हो गयी.

विश्व पूँजीवाद का संकट गहरा गया, लेकिन हाल ही में कुछ संस्थाओं की ओर से जारी किये गये आँकड़े यह दिखा रहे हैं कि महामारी के दौर में भारत और दुनिया के कई अरबपतियों की सम्पत्ति में ज़बर्दस्त इज़ाफ़ा हुआ है.

ये आँकड़े यह साबित करते हैं कि इन अरबपतियों ने गिद्ध की भाँति आपदा में भी अवसर खोज लिया है जिसकी इजाज़त मौजूदा व्यवस्था ही देती है.

इन विडम्बनापूर्ण आँकड़ों की सतही व्याख्या करते हुए बहुत-से लोग इस हास्यास्पद षड्यंत्र सिद्धान्त को सही मानने लगे हैं कि दरअसल पूँजीपति वर्ग ने मुनाफ़ा कमाने के लिए साज़िश के तहत लॉकडाउन लगाया था.

कुछ लोग तो कोरोना को ही साज़िश करार दे रहे हैं, ऐसे में वैज्ञानिक नज़रिये से इस परिस्थिति को समझना बेहद ज़रूरी हो जाता है.

मज़दूर वर्ग के महान शिक्षक कार्ल मार्क्स ने दिखाया था कि पूँजीवादी व्यवस्था की नैसर्गिक गति के फलस्वरूप समाज दो ध्रुवों में बँट जाता है.

एक ध्रुव पर धन-दौलत और ऐश्वर्य का अम्बार इकट्ठा होता जाता है और दूसरे ध्रुव पर ग़रीबी, कंगाली और दु:खों तथा तकलीफ़ों का महासागर बनता जाता है.

इसी वजह से दुनिया में हर साल एक ओर अरबपतियों-खरबपतियों की सम्पदा में लगातार इज़ाफ़ा होता जाता है और दूसरी ओर ग़रीबों की तकलीफ़ें बढ़ती जाती हैं.

इस प्रक्रिया में मज़दूर तो तबाह होते ही हैं, साथ ही बड़ी संख्या में छोटे उत्पादक व पूँजीपति भी बर्बाद होते जाते हैं और उनकी क़ीमत पर चन्द बड़े पूँजीपतियों की समृद्धि की मीनारें ऊँची होती जाती हैं.

लेकिन इस व्यवस्था के सुचारु रूप से चलने के लिए यह ज़रूरी होता है कि समाज में उत्पादन की प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे, फिर ऐसा कैसे हुआ कि उत्पादन की प्रक्रिया बाधित होने पर भी कुछ पूँजीपतियों की दौलत इस क़दर बढ़ गयी?

हाल ही में प्रकाशित हुई ‘बिलिनेयर्स इनसाइट रिपोर्ट 2020’ यह दिखाती है कि इस साल अप्रैल व जुलाई के बीच भारत के अरबपतियों की कुल सम्पदा में 35 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.

इससे पहले फ़ोर्ब्स की ‘इण्डिया रिच लिस्ट 2020’ में यह तथ्य सामने आया था कि भारत के सबसे बड़े धनपशु मुकेश अम्बानी की कुल सम्पदा में इस साल पिछले साल के मुक़ाबले 73 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.

मोदी के दूसरे सरपरस्त, गौतम अडाणी की पूँजी तो इस साल और तेज़ी से बढ़ी. ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इण्डेक्स के अनुसार, इस साल के पहले साढ़े दस महीनों में ही अडाणी की पूँजी में 19.1 बिलियन डॉलर,

यानी क़रीब 1.40 लाख करोड़ रुपये की छलाँग लगी है जो कि अम्बानी की इस साल अब तक की कमाई 16.4 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है.

इसी तरह एचसीएल के संस्थापक शिव नादर और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इण्डिया के साइरस पूनावाला, बायोकॉम की चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर किरन मज़ूमदार शॉ जैसे अरबपतियों की सम्पत्ति में भी कोरोना काल में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली.

ऐसे रुझान दुनिया के कई अन्य देशों में भी देखने को आ रहे हैं, विश्व पूँजीवाद के सिरमौर अमेरिका में भी एमेज़ॉन के प्रमुख ज़ेफ़ बेजोस, फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग,

गूगल के संस्थापकों सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज, माइक्रोसॉफ़्ट के पूर्व सीईओ स्टीव बालमर और टेस्ला के एलन मस्क की सम्पत्ति में कोरोना काल के दौरान हुए भारी इज़ाफ़े के तथ्य प्रकाशित हुए हैं.

 

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