BBAU: पूर्व छात्र डॉ. अजय कुमार का इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), दिल्ली में पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप के लिए चयन


BY- THE FIRE TEAM


बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ डॉ. अजय कुमार का देश के उच्च शैक्षणिक संस्थान इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), दिल्ली में पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप में शोध के लिए चयन हुआ है।

वर्तमान समय मे डॉ. अजय कुमार बीबीएयू में अतिथि शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

Dr. Ajay Kumar

यह पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप पीएचडी के बाद शोध के लिए दी जाने वाली सबसे उच्च डिग्री है। जिसमें डॉ अजय को आई आई टी के रसायन वैज्ञानिकों के साथ शोध करने का मौका मिलेगा।

डॉ अजय कुमार ने अपना पीएचडी का शोध कार्य के बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के रसायन विज्ञान विभाग के डीन और हेड प्रो कमान सिंह जी के दिशानिर्देशन में किया।

जिसमें उनके पीएचडी के शोध में चीनी उद्योग में चीनी उत्पादन में चीनी का रंग पीला होने से देश के राजस्व का काफी नुकसान रोकने के लिए रासायनिक क्रियाविधियों पर शोध किया है।

अभी तक चीनी का रंग पीला होने का सिद्धांत चीनी उद्योग के शोध में पता था लेकिन डॉ कुमार ने अपने इस शोध कार्य में चीनी के पीलेपन कारण पता लगाया।

उन्होंने ने एक्सपेरिमेंटल डेटा के माध्यम से रासायनिक बल गतिकी का अध्ययन करके बताया है कि चीनी में उपस्थित आयरन (III) और फेनोलिक अम्ल की उपस्थिति के कारण वह काम्प्लेक्स बना लेते हैं जो सफेद चीनी को पीलेपन में बदल देते हैं।

चूंकि हमें पता होना चाहिए कि दुनिया में सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन भारत देश में होता है लेकिन चीनी उत्पादन में हमारा देश दुनिया में दूसरे नम्बर पर है। जबकि क्यूबा देश चीनी उत्पादन में पहले नंबर पर है।

हमारे देश में चीनी का उत्पादन तो बहुत ज्यादा है लेकिन चीनी का निर्यात बहुत कम है । इस वजह से चीनी देश के बाहर न जाने के कारण इसका दाम उचित नही मिल पाता है।

इस वजह चीनी भारतीय बाजारों में ही सस्ते दामों में बेची जाती रहती है। जब चीनी सस्ती बेची जाती है तो गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों को भी उचित दाम नही मिल पाता है।

डॉ अजय के शोध को दुनिया के प्रतिष्ठित एलसेवीर प्रकाशन के फ़ूड केमिस्ट्री और स्पेक्ट्रो किमिका एक्टा के जर्नल ने भी प्रकाशित किया है।

वह अपना शोध पत्र यूनाइटेड किंगडम के नोरविच शहर में आयोजित कांफ्रेंस में प्रस्तुत भी कर चुके हैं।

उपरोक्त शोध से चीनी उद्योग में एक नई क्रांति आएगी क्योकि चीनी में पाये जाने वाले फेनोलिक अम्ल एंटीऑक्सीडेंट का गुण रखते हैं। जो मेडिसिनल उद्योग में एंटीऑक्सीडेंट के नाम से दवाओं की दुकानों पर मिलते हैं।

इस शोध से चीनी उद्योग के साथ साथ हम लोग मेडिसिनल उद्योग को भी बढ़ावा दे सकते हैं।

आगामी शोध में डॉ अजय चीनी उद्योग में पीलेपन को पैदा करने वाले काम्प्लेक्स कंपाउंड को कई क्रोमैटोग्राफी तकनीक से निकालने पर शोध करेंगे।

जिससे हमारे देश की चीनी की सफेदी बढ़ेगी और जिससे विदेशों में निर्यात भी बढ़ेगा, जिससे विदेशी मुद्रा से देश के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी।

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