मिली जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि को के बयान को भारत ने दुर्भाग्यपूर्ण और पद का दुरुपयोग करने वाला करार दिया है.
दरअसल फरीदाबाद के खोरी गांव में इस समय प्रशासन का डंडा बड़ी तेजी के साथ लोगों पर बरस रहा है जिन्होंने अरावली वन क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है.
हरियाणा के खोरी गांव से लोगों को बेदख़ल करने की प्रक्रिया रोके भारत सरकार: संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ#KhoriGaon #UN #Haryana #HumanRights #हरियाणा #खोरीगांव #संयुक्तराष्ट्र #मानवाधिकारhttps://t.co/6DhysJm7s2
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) July 17, 2021
ऐसे में इस क्षेत्र को खाली कराने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव से 10,000 लोगों को बाहर करने की कार्रवाई का आदेश दिया था जिसे संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों ने
goverment is working only for corporates in India https://t.co/pJTUKbCD3E @KisanUnion_
— P.S.tiwari (@PStiwar85693417) July 15, 2021
मानव अधिकारों की रक्षा का हवाला देकर आड़े हाथों ले लिया और कहा कि-” खोरी गांव से लोगों को नहीं निकाला जाना चाहिए.”
जबकि भारत ने अपने डिफेंस में कहा कि विशेष प्रतिवेदकों को किसी भी लोकतांत्रिक समाज में कानून के शासन को कमजोर करने से बचना चाहिए.
आपको यहां बताते चलें कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली वन क्षेत्र में खोरी गांव के पास से दस हजार घरों को हटाने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी तर्क रखा कि जमीन हथियाने वाले कानून का सहारा नहीं ले सकते और ना ही वह निष्पक्षता की बात कर सकते हैं.
लोगों के पास सभी तरह के पहचान पत्रों के होने के बावजूद तानाशाही तरीके से प्रशासन के इस कार्यवाही से लोगों में भारी आक्रोश है और रोते बिलखते हुए नजर आये.