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कुशीनगर: भ्र्ष्टाचार रोकने व पारदर्शिता के लिए सरकार भले ही ऑनलाइन व्यवस्था कर रही है

लेकिन यही व्यवस्था जिम्मेदारों की पर्दे के पीछे की कमाई का माध्यम बन गया है, जिससे लोगो की परेशानी बढ़ गयी है.

कारण कि रिपोर्ट जिम्मेदारों को ही लगानी हैं और बिना सुविधा शुल्क के रिपोर्ट लगता तो है लेकिन वह परेशानियों को बढाने वाला होता है.

कुशीनगर जिले में नवागत बीएसए के पदभार ग्रहण करने व उनकी तेजतर्रार कार्यशैली को देखकर

यह चर्चा बलवती हो चली थी कि अब बेसिक शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार का अंत निश्चित है लेकिन जिम्मेदार उन आशाओ पर भी पानी फेर रहे हैं.

सूत्रों की माने तो महिलाकर्मी अपने बच्चों की आयु 18 वर्ष के अंदर उनकी देखभाल के लिए अवकाश ले सकती हैं, यह उनका अधिकार भी है.

पूर्व में सीसीएल अवकाश स्वीकृति के लिए हो रही धनउगाही काफी चर्चा में रही जिसे देखते हुए व्यवस्था में

पारदर्शिता के लिए शासन ने ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था कर दी लेकिन अब यही व्यवस्था पर्दे के पीछे की कमाई का माध्यम बन गया है.

सूत्रों की माने तो बिना सुविधा शुल्क के आवेदन अस्वीकृत हो रहे हैं, साथ ही मोटी धनउगाही के बाद ही सीसीएल के आवेदन स्वीकृत हो रहे हैं.

अब सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा लेकिन चर्चाओं का बाजार गर्म है.

वैसे शिक्षकों का कहना है कि महिलाओं को बच्चों की देखभाल उनका वास्तविक अधिकार है और शासन स्तर से भी

उनकी देखभाल के लिए अवकाश की व्यवस्था है तो फिर जिम्मेदारों की ओर से आवेदन का अस्वीकृत किया जाना अच्छी बात नहीं है.

अवकाश अस्वीकृत होने से महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल व उनके साथ समय देने के आशाओ पर जिम्मेदार पानी फेर रहे हैं.

अब देखा जाय कि उनकी वाजिब समस्याओ का समाधान कब तक होता है हालाँकि शासन स्तर से महिलाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान की बात की जाती है.

काश जनप्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों की एक नजर इस समस्या पर भी पड़ जाती.?

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