BY- THE FIRE TEAM
आज के भारत में पीएम मोदी डिजिटल इंडिया की बात करते हैं तो वही दूसरी तरफ जहां वे सालों तक मुख्यमंत्री रहे यानी गुजरात में, वहां के वडोदरा जिले के बच्चों की स्थिति बहुत ही नाजुक है।
गुजरात के वडोदरा जिले में एक मॉल के बाहर कुछ बच्चे, जो स्कूल जाने की उम्र में की-चेन, स्टिकर्स और ड्राइंग बुक्स बेंचकर अपने परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए दिन-भर मेहनत करते हैं।
दरअसल, एमएस विवि के छात्र द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार वडोदरा शहर के 61 फीसदी बच्चे स्ट्रीट वेंडर का काम करते हैं। वहीं 56.25 फीसदी बच्चे ऐसे भी हैं जिन्होंने आजतक स्कूल नहीं देखा। बाकी 53.33 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने कक्षा 4 और 6 के बीच में ही स्कूल जाना छोड़ दिया।
यह आंकड़ा एमएस विवि के फैमिली एंड डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सटेंशन एंड कम्युनिकेशन एट द फैकल्टी ऑफ़ फैमिली एंड कम्युनिटी साइंसेज में मास्टर्स की छात्रा निधि सरदार द्वारा किए गए एक शोध कार्य में सामने आए हैं।
इस शोध कार्य मे वडोदरा जिले के 12 जगहों पर ऐसे 80 बच्चों पर सर्वे किया गया जो अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए स्ट्रीट वेंडर का काम करते हैं।
शोध कार्य मे पाया गया कि ये बच्चे नंगे पैर और फ़टी टी-शर्ट और पैंट पहन कर दिन में 12 घंटे कार्य करते हैं जिन्हें मॉल के बाहर देखा जा सकता है।
मॉल के बाहर समान बेचने वाले दो बच्चे रोहित और राहुल अपनी दादी के साथ पांडया पुल के पास सड़क के किनारे रहते हैं। इनकी दादी भीख मांगने का काम करती हैं और उसके बड़े भाई और बहन वडोदरा शहर के ही दूसरे मॉल के बाहर समान बेचते हैं।
जन दोनों बच्चों से बात की गई तो पता चला कि वे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और केवल गर्मियों की छुट्टी में ही परिवार की आर्थिक सहायता के लिए मॉल के बाहर छोटे-मोये समान बेचते हैं।
बच्चों से पता चला कि वे दोनों टाइम का खाना पास के मंदिर में खाते हैं जहां उन्हें फ्री में खाना मिल जाता है और इसके साथ ही सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करते हैं।