BY- THE FIRE TEAM
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी और छह अन्य को आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के मामले में अहमदाबाद सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई।
मामला 20 जुलाई 2010 का है, जब आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की गुजरात उच्च न्यायालय के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 6 जुलाई को आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या में दीनू बोगा सोलंकी को दोषी ठहराया था। अदालत ने मामले में छह अन्य को भी दोषी ठहराया था।
अमित जेठवा को 20 जुलाई, 2010 को दो हमलावरों ने गुजरात उच्च न्यायालय के बाहर गोली मार दी थी।
जेठवा ने आरटीआई के सवालों के जरिए गिर के जंगलों में अवैध खनन का खुलासा किया, जिसमें कथित रूप से पूर्व सांसद शामिल थे। गिर के जंगल एशियाई शेर का एकमात्र निवास स्थान हैं।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश केएम दवे ने सौराष्ट्र क्षेत्र में जूनागढ़ निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व लोकसभा सदस्य सोलंकी सहित सात आरोपियों को दोषी ठहराया।
सोलंकी को आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र सौंपा गया था।
सीबीआई ने बताया कि जेठवा को सोलंकी के इशारे पर मार दिया गया क्योंकि वह गिर के जंगल के निषिद्ध क्षेत्रों में अवैध खनन गतिविधियों को प्रकाश में लाया था।
निष्कर्ष मुख्य रूप से कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) पर आधारित थे।
हत्या के मामले की जांच पहले अहमदाबाद डिटेक्शन क्राइम ब्रांच (DCB) द्वारा की गई थी, जिसमें छह व्यक्तियों – शिवू सोलंकी, दीनू सोलंकी, शैलेश पंड्या, बहादुरसिंह वढेर, पंचान जी देसाई, संजय चौहान और उडजी ठाकोर के भतीजे थे। लेकिन डीसीबी ने सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी।
जेठवा के पिता भीखाभाई जेठवा ने तब गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था और याचिका दायर कर सीबीआई से निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
कुल 195 गवाहों में से 100 से अधिक के होस्टाइल होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने हाई-प्रोफाइल मामले में फिर से जांच का आदेश दिए थे।
[mks_social icon=”facebook” size=”35″ style=”rounded” url=”http://www.facebook.com/thefire.info/” target=”_blank”] Like Our Page On Facebook Click Here