अफगानिस्तान: एक ऐसा देश जहाँ औरत को अपना बदन ही नहीं नाम भी छुपाना पड़ता है

आज हम भले ही विज्ञान और तकनीकी की दुनिया में रह रहे हैं, आधुनिकता का लबादा ओढ़े हुए हैं, किन्तु एशिया में अफगानिस्तान एक ऐसा देश जहाँ आधी आबादी (औरत) स्वतंत्र रूप से अपना अस्तित्व नहीं रखती है.

वह अभी भी बेबस है जिसके कारण उसको समाज के समक्ष अपना बदन ही नहीं नाम भी छुपाना पड़ता है.अफगानिस्तान में यह बहुत ही आम चलन है जहाँ महिलाओं को गैर पुरुषों के सामने अपना नाम नहीं बताने के लिए दबाव डाला जाता है भले ही वह चिकित्सक ही क्यों न हो.

यदि कोई महिला ऐसा करती है तो उसे बुरी तरह मारा-पीटा जाता है, इस शोषण के विरुद्ध अब महिलाओं ने कमर कस ली है और एक आंदोलन ‘मेरा नाम कहाँ है’ (where is my name) के द्वारा अपना विरोध दर्ज करा रही हैं.

जब लड़की पैदा होती है तो एक उम्र के बाद उसकी शादी होती है किन्तु हैरत की बात यह है कि उसकी शादी के कॉर्ड पर उसी का नाम नहीं होता है. बीमार होने के बाद भी पर्ची पर उसका नाम नहीं रहता,

वहीं जब उसकी मृत्यु होती है तब भी उसका मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनता है. इस विषय में राबिया नाम की महिला जो हेरात प्रान्त में रहती है उसका बयान चौंकाने वाला है. वह बताती है कि-

“मुझे जब अपना नाम बताने की जरूरत पड़ती है तो अपने पिता भाई और मंगेतर की इज्जत का ख्याल आ जाता है इस- लिए अपना नाम नहीं बताती हूँ. वास्तव में मुझे कोई फलाने की बेटी बहन अथवा पत्नी कहकर पुकारना अच्छा लगता है.”

इस मुहीम से जुड़ी लालेह उस्मानी और अन्य महिलाएं राष्ट्रपति से इतना चाहती हैं कि- उन्हें भी समानता का अधिकार मिले, सभी सरकारी दस्तावेजों पर पति और बच्चों के नाम के साथ उनका नाम भी दर्ज हो तथा उन्हें अपनी व्यक्तिगत पहचान से महरूम न रखा जाये.

 

 

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